Chaitra Navratri 2023: हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व माता दुर्गा के नौ रूपों की आराधना हेतु मनाया जाता है. इन दिनों जब चैत्र नवरात्रि मनाए जा रहे हैं, तो आज नवरात्रि का पांचवा दिन है. साल भर में कुल 4 नवरात्रि मनाए जाते हैं, लेकिन चैत्र महीने में पड़ने वाले नवरात्रों का विशेष धार्मिक महत्व है, ऐसे में यदि आप भी चैत्र नवरात्रों में माता रानी के व्रत का संकल्प कर रहे हैं. तुम्हारे आज के इस लेख में हम आपको नवरात्रि के पांचवे दिन किस माता के स्वरूप की आराधना की जाती है? इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं…
नवरात्रि का पांचवा दिन
नवरात्रि के पांचवे दिन माता दुर्गा की स्कंदमाता स्वरूप की आराधना की जाती है. स्कंदमाता को भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय की माता कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार एक असुर जिसका नाम तारकासुर था. उसने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा,
लेकिन ब्रह्मा जी ने कहा कि इस संसार में कोई भी व्यक्ति पूर्णता अमर नहीं हो सकता जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है. उसने कहा कि मेरी मृत्यु भगवान शिव के पुत्र के हाथ से हो. क्योंकि उसका ऐसा मानना था कि भगवान शिव ना तो कभी विवाह करेंगे और ना ही उनका कोई पुत्र होगा जोकि तारकासुर का वध कर सके.
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ऐसे में जब तारकासुर का आतंक बढ़ने लगा, तब भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ विवाह किया और उनका पुत्र कार्तिकेय जन्मा. जिसके बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया. इस प्रकार भगवान शिव और माता पार्वती के मुख वाले पुत्र कार्तिकेय को स्कंद के नाम से जाना जाता है. माता के स्वरूप को स्कंदमाता होने के कारण स्कंदमाता कहा जाता है.
स्कंदमाता का स्वरूप
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति स्कंदमाता की आराधना करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है, और उसकी सारी मनोकामनाएं माता पूर्ण करती हैं. मां दुर्गा के इस अवतार की चार भुजाएं हैं. जिनकी दाहिने हाथ की सबसे नीचे वाली भुजा में कमल का फूल है. जबकि बाएं हाथ की भुजा में वर मुद्रा और नीचे वाली भुजा में कमल का फूल है. स्कंदमाता सदा कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं और इनका वाहन सिंह है.
सिंहासनगता नित्यं,पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी,स्कंदमाता यशस्विनी।।
हे स्कंदमाता मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूं कृपया आप मुझे मेरे सारे पापों से मुक्ति दिला दें.