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Chaitra Navratri: नवरात्र का पहला दिन, मां के किस स्वरूप की होती है पूजा?

 

Chaitra Navratri: हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है. वैसे तो नवरात्र साल में चार बार आते हैं. चैत्र, शारदीय नवरात्र के अलावा दो और नवरात्र आते हैं जो की गुप्त नवरात्र कहलाते हैं. आज से चैत्र नवरात्र के शुभ दिनों की शुरुआत हो चुकी है. साथ ही हिंदू नववर्ष विक्रम संवत् २०८० आज से शुरू हो गया है. नवरात्र के पावन अवसर पर आज से नौ दिनों तक हर घर में माँ की जयकार गूंजेगी.

नवरात्र का पहला दिन

नवरात्र का पहले दिन माँ के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है. शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं.हिमालय पर्वतों का राजा है.वह अडिग है, उसे कोई हिला नहीं सकता.जब हम भक्ति का रास्ता चुनते हैं तो हमारे मन में भी भगवान के लिए इसी तरह का अडिग विश्वास होना चाहिए, तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं.यही कारण है कि नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है.

माँ शैलपुत्री का स्वरूप

शैलपुत्री नंदी बैल पर सवार हिमालय पर विराजमान है. यह वृषभ वाहन शिव का ही स्वरूप है घोर तपस्चर्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव जंतुओं की रक्षक भी है.शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल जो धर्म, अर्थ और मोक्ष के द्वारा संतुलन का प्रतीक हैं. वहीं बाएं हाथ में सुशोभित कमल का फूल सुशोभित है.

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माँ शैलपुत्री का मंत्र

वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

माँ शैलपुत्री के दिन यानी नवरात्रि के प्रथम दिन इस मंत्र का जाप करने से माँ की विशेष कृपा मिलती है. और साधक की हर मनोकामना पूरी होती है.