Deeba mata mandir: गुप्त नवरात्रों में जरूर करें देवी माता के इस अद्भुत मंदिर के दर्शन, पूरी होगी कामना

 
Deeba mata mandir: गुप्त नवरात्रों में जरूर करें देवी माता के इस अद्भुत मंदिर के दर्शन, पूरी होगी कामना

Deeba mata mandir: देवभूमि यानी कि उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा गया है, यही कारण है कि दुनिया भर से लोग उत्तराखंड में देवी-देवताओं के दर्शन करने हेतु उनके पवित्र मंदिरों के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इसी तरह से यदि आप देवी माता के भक्त हैं और गुप्त नवरात्रों में उनकी विशेष कृपा पाना चाहते हैं,

तो आपको पौड़ी गढ़वाल स्थित डीबा माता के मंदिर के दर्शन के लिए अवश्य जाना चाहिए. जिस से जुड़े आश्चर्य और अनोखी शक्ति के बारे में आगे हम आपको बताने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं…

Deeba mata mandir: गुप्त नवरात्रों में जरूर करें देवी माता के इस अद्भुत मंदिर के दर्शन, पूरी होगी कामना
Image credit:- wikimedia

डीबा माता के मंदिर से जुड़े अनोखे रहस्य के बारे में

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, डीबा माता के इस मंदिर में देवी माता एक बूढ़ी औरत के रूप में अपने भक्तों को दर्शन देती हैं. जिसकी पुष्टि कई एक लोगों ने की है जिनको माता ने दर्शन दिए हैं.

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माना जाता है कि डीबा मंदिर के आसपास के पेड़ों को यदि कोई सामान्य व्यक्ति काटता है, तो उन पेड़ों में से खून निकल आता है, केवल भंडारी जाति के लोग ही इस मंदिर के आसपास मौजूद पेड़ों को काट सकते हैं.

डीबा माता के मंदिर में दर्शन के लिए आपको सूर्योदय से पहले पहुंचना होता है, जैसे बेहद शुभ माना जाता है.

डीबा माता के मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति के परिवार में किसी की मृत्यु हुई है या किसी बच्चे ने जन्म लिया है, और उस व्यक्ति का शुद्ध संस्कार नहीं हुआ है,

Deeba mata mandir: गुप्त नवरात्रों में जरूर करें देवी माता के इस अद्भुत मंदिर के दर्शन, पूरी होगी कामना
Image credit:- thevocalnewshindi

तो वह इस मंदिर की चढ़ाई को कभी भी पूरा नहीं कर सकता. इसके विपरीत बूढ़े और बच्चों को इस मंदिर की चढ़ाई में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आ पाती.

ऐतिहासिक स्रोतों के मुताबिक माता ने यहां के निवासियों को गोरखाओं के आतंक से बचाया था, इतना ही नहीं इस मंदिर के आसपास एक ऐसा पत्थर भी मौजूद है, जिसको जिस दिशा में घुमा दिया जाए उस दिशा में बारिश होने लग जाया करती थी. कहा जाता है यही वह पत्थर है जिसके माध्यम से माता वहां के निवासियों को गोरखाओं के आने का संकेत दिया करती थी.

इस प्रकार डीबा माता का मंदिर जो की समुद्र तल से 2520 मीटर ऊंचाई पर स्थित है, वहां पहुंचने का मार्ग काफी आसान नहीं है, इसके लिए आपको बेहद कठिन रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. कहा जाता है कि अपने मंदिर में डीबा माता पहले साक्षात अवतार में रहा करती थी,

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ऐसे में जब एक पुजारी को माता का स्वप्न आया, तब उसने इस मंदिर में माता की मूर्ति को स्थापित किया. तब से इस मंदिर की विशेष मान्यता है, कहा जाता है जो भी व्यक्ति यहां अपनी इच्छाओं और अरदास को लेकर पहुंचता है, डीबा माता उसे कभी भी निराश नहीं लौटाती हैं.

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