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Devi mata savari: आखिर शेर पर क्यों सवार रहती हैं देवी माता? इस नवरात्रि जानें ये रहस्य…

 

Devi mata savari: इन दिनों चैत्र नवरात्रि के दिन चल रहे हैं. चैत्र नवरात्रि के दिनों में माता रानी के 9 रूपों की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. आज नवरात्र का आखिरी दिन यानी रामनवमी मनाई जाएगी, ऐसे में माता रानी से जुड़ी तमाम जानकारियों से आपको जरूर अवगत रहना चाहिए. देवी माता जिनको संपूर्ण सृष्टि में शक्ति के तौर पर पूजा जाता है, वह शेर की सवारी करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवी माता की सवारी शेर क्यों कहलाता है? यदि नहीं तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं.

माता रानी की सवारी क्यों है शेर?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के तौर पर पाने के लिए काफी समय तक तपस्या की थी, जिस वजह से उनका रंग सांवला पड़ गया था. इस दौरान भगवान शिव ने माता पार्वती को काली कहकर संबोधित किया, जिस पर माता पार्वती भगवान शिव से काफी नाराज हो गई.

उसके बाद माता पार्वती पुनः तपस्या में लीन हो गई. कहते हैं इस दौरान माता पार्वती के पास एक भूखा शेर पहुंचा, लेकिन वह माता पार्वती को तपस्या में देखकर वहां शांति से बैठा रहा. उसने सोचा जब माता पार्वती तपस्या से उठेंगे तब यह उनको अपना भोजन बना लेगा.

लेकिन वर्षों तक माता पार्वती तपस्या में बैठी रही और वह शेर भी भूखा उनके पास ही बैठा रहा. ऐसे में जब माता पार्वती की तपस्या भंग हुई तब उन्होंने उस शेर को अपना वाहन बना लिया. तभी से देवी दुर्गा को शेरों वाली मैया के नाम से भी जाना जाता है.

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने तारक नाम के दानव और उसके दो भाइयों को पराजित कर दिया था. इनमें से सिंह मुखम नामक असुर ने भगवान कार्तिकेय से क्षमा मांगी,

जिस पर भगवान कार्तिकेय ने उसे शेर बनाकर माता दुर्गा का वाहन बनने का आशीर्वाद दे दिया, तबसे माता सवारी के तौर पर शेर को जाना जाता है. इस प्रकार माता दुर्गा के अनेक अवतारों के अलग-अलग वाहन हैं, जिनके पीछे अनेक कथाएं मौजूद हैं.

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