Garuda puran niyam: हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण को बेहद पवित्र माना गया है, गरुड़ पुराण में लिखी बातें हर व्यक्ति के जीवन में यथार्थ सिद्ध होती हैं. ऐसे में गरुड़ पुराण में उन बातों का भी जिक्र किया गया है, जोकि व्यक्ति के मरने के बाद भी लागू होती हैं. जैसे जब कोई व्यक्ति इस संसार से चला जाता है,
तब हिंदू धर्म के आखिरी संस्कार सोलह संस्कार को विधि विधान से पूर्ण किया जाता है, जिसका जिक्र भी गरुड़ पुराण में किया गया है. इसी तरह से गरुड़ पुराण में मृत व्यक्ति के साथ श्मशान तक जाने वाले व्यक्तियों को लेकर भी कुछ एक बातें कही गई हैं,
यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता, तो इससे उसके जीवन पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसके साथ ही मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को भी शांति नहीं मिलती. ऐसे में चलिए जानते हैं….

गरुड़ पुराण में मृत व्यक्ति को लेकर बताए गए आवश्यक नियम
गरुड़ पुराण में ऐसा वर्णित है कि जब कोई व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, तब श्मशान में उसे शैय्या पर लिटाने के दौरान उसके सिर पर बांस के डंडे से चोट की जाती है, जिसे कपाल क्रिया कहा जाता है.
ऐसा कहा जाता है शव के सिर पर चोट करने से व्यक्ति सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाता है. इसी तरह से गरुड़ पुराण में यह भी वर्णित है कि श्मशान से लौटते वक्त कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए.
इतना ही नहीं, शव दाह के बाद दाएं हाथ में लकड़ी के तीन टुकड़े और बाएं हाथ में लकड़ी के दो टुकड़े पकड़कर श्मशान से लौटते हुए बिना पीछे मुड़े फेंक दे,
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कहा जाता है ऐसा करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को इस बात का एहसास हो जाता है कि आप उसे पंचतत्व में विलीन करके आ गए हैं और अब उसे संसार का मोह त्याग देना है, इतना ही नहीं, गरुड़ पुराण में ऐसा कहते हैं यदि आप श्मशान से लौटते वक्त पीछे मुड़ कर देख लेते हैं,
तो मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती. मृत व्यक्ति की आत्मा वरना अपने परिजनों के साथ वापस आ जाती है और फिर उसे मरने के बाद भी शांति नहीं मिल पाती.