Karwa Chauth 2022: करवा चौथ के दिन क्यों किया जाता है करवे का इस्तेमाल, जानिए कारण

 
Karwa Chauth 2022: करवा चौथ के दिन क्यों किया जाता है करवे का इस्तेमाल, जानिए कारण

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ का दिन नजदीक आ चुका है. सुहागिन महिलाओं ने अपने हाथों को मेहंदी से सजा लिया है. सभी कल व्रत रखने के बाद चंद्रोदय का इंतजार करेंगी. इस प्रकार पूरा दिन ईश्वर के गुणगान और चंद्रमा की प्रतीक्षा में गुजर जाएगा.

करवा चौथ का पर्व विशेष पर्व होता है. लेकिन यूं ही इस पर्व को सुहाग का पर्व नहीं कहा जाता है. दरअसल करवा चौथ के व्रत में सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना हेतु व्रत रखती हैं.

यह व्रत भी निर्जला यानि बिना पानी और अन्य के सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक रखा जाता है. इस प्रकार इस व्रत को पूरी निष्ठा से रखने पर विशेष लाभ प्राप्त होता है.

हालांकि करवा चौथ के व्रत में कई पूजन सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है. लेकिन इस व्रत के पूजन में मिट्टी का करवा विशेष तौर पर प्रयोग में लाया जाता है. नव विवाहित महिलाओं को करवा के विषय में अधिक ज्ञान नहीं होगा तो आइए आज जान लेते हैं मिट्टी के करवे के विषय में.

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Karwa Chauth 2022: करवा चौथ के दिन क्यों किया जाता है करवे का इस्तेमाल, जानिए कारण
Imagecredit:- thevocalnewshindi

मिट्टी का करवा है करवा माता का प्रतीक

करवा चौथ के व्रत में मिट्टी का करवा विशेष तौर पर प्रयोग किया जाता है. मिट्टी का यह करवा एक मटका नुमा आकार में होता है. जिसमें नलकी नुमा एक आकार भी पाया जाता है.

करवा चौथ के व्रत पूजन में दो मिट्टी के करवो का प्रयोग किया जाता है. जिसमें एक करवा देवी करवा के लिए व दूसरा करवा सुहागिन महिला के लिए रखा जाता है.

करवा को व्रत में ऐसे करें प्रयोग

जब आप करवा चौथ की पूजा करेगी तो आप दो मिट्टी के करवे लेकर पूजन शुरू करेंगी. पूजा में करवा प्रयोग करने से पहले इसे अच्छे से पानी से साफ कर लें फिर इस मिट्टी के करवे को आप रक्षा सूत्र बांधकर

और हल्दी और आटे के मिश्रण से स्वास्तिक बनाकर सजा सकते हैं. करवा चौथ की पूजा में करवे के साथ व्रत कथा सुनी जाती है. इसके बाद एक करवे से महिलाएं अर्घ्य देती है और दूसरा करवा अपनी सास को देती है.

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करवा में भरें ये चीजें

करवा चौथ के व्रत में करवा जिस स्थान पर रखा जाता है उस जगह पर पहले मिट्टी से गोरा जी बनाई जाती है. साथ ही गोरा जी के सिंगार को भी मिट्टी के साथ ही बनाया जाता है. उनकी गोद में गणेश जी बनाए जाते हैं. अधिकतर लोग करवा के अंदर गेहूं भरकर उसे शक्कर से भरे ढक्कन से बंद कर देते हैं.

इसके अतिरिक्त कई लोग करवा में अनाज और शक्कर भरते हैं. फिर आप 13 रोली की बिंदी को रखकर हाथ में गेहूं या चावल के दाने लेकर करवा चौथ की कथा को सुनेंगे. इसके अलावा देश के कई अन्य स्थानों पर एक करवा में जल और दूसरे करवा में दूध भी भरा जाता है,

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और फिर उसमें तांबे या चांदी के सिक्के भी डाले जाते हैं. आपको बता दें, जब पूजन के बाद, अर्घ्य देकर महिलाएं अपने करवा से जलपान करती हैं, तब यह व्रत पूर्ण माना जाता है.

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