ब्रह्मा जी का जन्म कब और कैसे हुआ...जानिए
हिंदू धर्म में हमेशा से ही त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा जी, विष्णु, महेश को सर्वोपरि, निराकार परमात्मा मानते हुए आए हैं. हिंदू देवताओं में त्रिदेव को एक विशेष स्थान प्राप्त है. इनमें से ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता विष्णु संरक्षक व महेश विनाशक माने जाते हैं. उनके बारे में काफी लोग सोचते होंगे कि इनका जन्म कैसे हुआ है. आइए जानते हैं भगवान की उत्पत्ति कैसे हुई है. आज हम आपको ब्रह्मा के जन्म के बारे में बताएंगे.
ब्रह्मा जी की उत्पत्ति
सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल के द्वारा स्वयंभू हुई थी. जब इनकी उत्पत्ति हुई तब इन्होंने चारों ओर देखा जिसकी वजह से उनके चार मुख हो गए. उनका नाम ब्रह्मा क्यों पड़ा. उनका नाम ब्रह्मा इसलिए पड़ा क्योंकि भारतीय दर्शन शास्त्र में निर्गुण निराकार और सर्वव्यापी चेतन शक्ति के लिए 'ब्रह्मा' शब्द का प्रयोग किया जाता था. इसीलिए इनमें यह सब गुण होने के कारण इन्हें ब्रह्मा नाम से पुकारा गया इन्हें परमब्रह्मा या परतत्व भी कहा जाता है. इनका निवास स्थान ब्रह्मलोक और इनका अस्त्र देवया धनुष है. ब्रह्मा जी की सवारी हंस है और उसका नाम हंस कुमार है. ब्रह्मा जी की जीवन साथी मां भगवती सरस्वती और संताने सनकादिक ऋषि, नारद मुनि और दक्ष प्रजापति हैं.
देवी भागवत पुराण में मां दुर्गा, देवी हिमालय को ज्ञान देते हुए कहती है कि सदाशिव ब्रह्मा की साधना करो. जो परम प्रकाश स्वरूप हैं. जिनमें सबके प्राण व वाणी बसती है. वह परम एवं ओमकार स्वरूप ब्रह्मलोक में स्थित हैं.
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