फाल्गुनी पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है... जानिए महत्व
फाल्गुनी पूर्णिमा का हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का पहला महीना चैत्र और आखिरी महीना फाल्गुन माना जाता है. फाल्गुन महीना हिंदू धर्म में बेहद खास होता है. फाल्गुन माह की शुरुआत मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा तक रहता है. अर्थात इस बार फाल्गुन मास 28 फरवरी से 28 मार्च तक रहेगा. फाल्गुन माह में पूर्णिमा तिथि के दिन फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस पूरे महीने का नाम फाल्गुन रख दिया गया. फाल्गुन माह को आनंद और उत्साह का महीना भी कहा जाता है. इस महा में अनेक व्रत व पर्वों का आयोजन किया जाता है. बसंत ऋतु का आगमन भी इसी महीने में होता है. जिसकी वजह से आपसी रिश्तों में प्रेम बढ़ता है और मौसम बेशुमार व सुहावना हो जाता है.
फाल्गुनी पूर्णिमा पर इन देवी-देवताओं की करते हैं पूजा
भोले शंकर
वैसे तो कभी भी किसी भी देवता की पूजा करना शुभ माना जाता है. लेकिन जिन लोगों की तबीयत ठीक नहीं रहती है उन्हें इस दिन भगवान भोले शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए.
मां लक्ष्मी
आर्थिक दिक्कतें दूर करने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. मां लक्ष्मी अपने भक्तों पर सदैव दया दृष्टि बनाए रखती हैं.
कृष्ण के तीन रूपों की पूजा
फाल्गुन माह में भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करना उत्तम माना जाता है. संतान प्राप्ति के लिए बाल कृष्ण की आराधना करनी चाहिए. प्रेम व आनंद के लिए युवा कृष्ण और ज्ञान बैराग के लिए गुरु कृष्ण की आराधना करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
चंद्रदेव
इस माह को 'चंद्रमा की जयंती' का महीना भी माना जाता है. इसीलिए फाल्गुन मास में चंद्रमा की पूजा करने से अधिक लाभ होते हैं. जिन व्यक्तियों का ध्यान केंद्रित नहीं रहता है उन्हें चंद्र देव को जल अर्पित करना चाहिए. जिससे काफी लाभ प्राप्त होगा.
इसी प्रकार भगवान के अनेक रूपों की पूजा अलग-अलग इच्छा पूर्ति के लिए की जाती है.
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