Navratra 2021: मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप एवं पूजा विधि

 
Navratra 2021: मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप एवं पूजा विधि

मां ब्रह्मचारिणी का उपवास नवरात्रि के द्वितीय दिन रखा जाता है. इस दिन मां की आराधना करने से मां भक्त को तपस्या का वरदान देती हैं. ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी नाम से भी जाना जाता है. और कहा जाता है कि जो भी ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा अर्चना करता है. उसकी स्मरण शक्ति, आयु इत्यादि बढ़ते हैं. और रुधिर सम्बंधित रोग विकार नष्ट हो जाते हैं. व इनको स्वर की देवी भी माना जाता है. आपको बता दें कि ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है. और यह तो आप जानते ही होंगे कि मां शारदे यानी सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है. यह मष्तिष्क को कुशल बनाने का भी आशीर्वाद देती हैं.

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

देवी ब्राह्मी के दाहिने हाथ में जप की माला व बाएं हाथ में कमण्डल होता है. ब्राह्मी को साक्षात ब्रह्मा का रूप माना जाता है. इसीलिए उन्हें ब्राह्मी नाम से पुकारते हैं. तथा इनको अन्य नामों शिवरूपा, नारायणी, विष्णुमाया, भगवती दुर्गा इत्यादि से भी जाना जाता है.

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पूजा विधि

सर्वप्रथम ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करने के पश्चात मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा के समक्ष बिराजित होकर उनका स्मरण करें. यदि आप पूरे नवरात्रि व्रत हैं तो जहां पर आपने देवी की प्रतिमा की स्थापना की है. वहीं बैठकर पूजा पाठ करें. पूजा की थाली में गुलहड़ का पुष्प व कमल का पुष्प अवश्य होना चाहिए. कोशिश करें कि श्वेत कमल मिल जाये. हालांकि श्वेत कमल मिलना दुर्लभ है. तो साधारण कमल का पुष्प ही पूजा की थाली में रखें. और पूजा करते समय धूपबत्ती लगाने के पश्चात मां के चरणों में अर्पित करें. भोग के लिए मिष्ठान में चीनी व मिश्री रखें और पंचामृत भी. देवी की पूजा करने के पश्चात भोग लगाएं और प्रसाद सभी लोगों में वितरित कर दें.

सभी भक्तों को ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां शारदे अर्थात ब्रह्मचारिणी की आराधना अवश्य करनी चाहिए.

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