हाथ पर रक्षासूत्र बांधने के धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व
रक्षासूत्र अर्थात कलावा सनातन धर्म में बहुत शुभ माना जाता है. कलावा पूजापाठ, अनुष्ठान, हवन इत्यादि मांगलिक कार्यों में देवी-देवताओं की आराधना करते हुए. व्यक्ति की कलाई पर बांधा जाता है. मुख्य रूप से कलावे का रंग लाल ही होता है. पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि कलाई पर कलावा बांधने का रिवाज़ देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने प्रारम्भ किया था.
मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति पूजा करने बाद विधि विधान से अपनी कलाई पर रक्षा सूत्र बंधवाता है. तो जीवन में होने वाले संकटों से उसको छुटकारा मिलता है. यह कलावा उसकी सदैव रक्षा करता है. कलाई पर कलावा बांधते समय 'येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रों महाबल:, तेन त्वाम् प्रतिबद्धिनामि रक्षे माचल माचला:' मन्त्र का उच्चारण किया जाता है.
रक्षासूत्र का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व
कलावे को मौली के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है शीर्ष पर अर्थात सबसे ऊपर. और यदि हम इसके वैदिक नाम की बात करें तो इसे उप मणिबन्ध भी कहा जाता है. अपनी कलाई पर कलावा बांधने से वैसे तो सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं की कृपा होती है. किन्तु विशेष रूप से त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु, महेश व तीनों देवियों समेत मां शारदे का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
यदि हम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से देखें तो कलाई पर रक्षासूत्र बांधने से आप अपनी रक्षा कई खतरनाक बीमारियों से कर सकते हैं. जैसे कफ़, पित्त सम्बंधी इत्यादि रोग. अगर हम विज्ञान की मानें तो हमारे हाथ की कलाई में शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण होता है. इसलिए कलाई पर कलावा बांधने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है. आपको बता दें कि ब्लड प्रेशर, लकवा, हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों में भी आपके हाथ पर बंधा हुआ कलावा आपकी रक्षा करता है.
आप सभी से निवेदन है कि अपनी कलाई पर रक्षासूत्र अवश्य बांधे. इससे आपको बहुत लाभ होगा.
यह भी पढ़ेें:- जानिए सनातन धर्म के फलदायी मंत्र और उनके जाप के बारे में