Sakat vrat 2022: इस दिन व्रत रखने से पहले जान लें जरूरी बातें, शुभ मुहूर्त और विधि
Sakat vrat 2022: हिंदी पंचांग के प्रत्येक माह में सकट चौथ का व्रत पड़ता है, लेकिन माघ महीने में पड़ने वाला सकट चौथ अत्यंत विशेष माना जाता है. आपको बता दें कि इसको तिलकुट चौथ और संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है.
इस खास दिन पर जिन माताओं के संतान नहीं है, वह संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं. और जिन माताओं की संतान है, वो अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और आपको सभी कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं. वहीं इस वर्ष इस व्रत को 21 जनवरी को रखा जाएगा.
सकट चौथ के शुभ मुहूर्त की बात करें तो 21 जनवरी 2022 को प्रातः 8:00 बज कर 54 मिनट से चतुर्थी तिथि की शुरुआत होगी. वहीं 22 जनवरी 2022 को प्रातः 09 बजकर 17 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त होगी.
अगर आप शुभ मुहूर्त के हिसाब से व्रत करते हैं तो ये अत्यंत लाभदायक होगा. वहीं अगर पूजन विधि की बात करें तो सकट चौथ की विशेष व्रत विधि है:-
▪️ प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर लें.
▪️ उसके पश्चात पूजा की तैयारी कर ले.
▪️ सफेद तिल और गुड़ के तिलकुट बना लें.
▪️ हाथों में सुंदर मेंहदी लगा लें.
▪️ फिर एक पटरे पर जल का लोटा, रोली, चावल, एक कटोरी में तिलकुट और कुछ रुपये भी रखें.
▪️ जल के लोटे पर रोली से सतिया बनाना ना भूलें.
▪️ सकट चौथ की कथा सुनें और इस दौरान थोड़ा सा तिलकुट हाथ में रखें.
▪️ जब कथा सुन लें उसके बाद एक कटोरी में तिलकुट और रुपये रखकर अपनी सास के पैर छूकर इसे दे दें.
▪️ फिर जल का पात्र और हाथ में रखे तिल उठाकर मंदिर में रखें.
▪️ वहीं जैसे ही चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़े गणेश जी व चंद्रमा का ध्यान करके व्रत खोलें.
▪️जो भी भगवान गणेश जी की संकट चतुर्थी की कथा आपको सुनाए उसे कुछ पैसे और तिलकुट दे दें.
▪️ याद रखें, व्रत खोलते समय तिलकुट अवश्य खायें।
अब इसके साथ ही जानते हैं कि आखिर कौन-कौन सी चीजें आपको सकट चतुर्थी के समय नहीं करनी चाहिए:-
▪️ ध्यान रखें, सकट व्रत के समय भूलकर भी काले रंग के कपड़े ना पहने. पूजा में पीले या लाल रंग के कपड़े ही शुभ माने जाते हैं इसलिए इन्हीं रंगों के कपड़ों को धारण करें.
▪️ संकट चतुर्थी के दिन चंद्र के दर्शन करना और साथ ही चंद्रमा को अर्घ्य देना बिल्कुल ना भूलें. ये व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात ही पूर्ण होता है.
▪️ साथ ही अर्घ्य देते समय ध्यान रखें कि अर्घ्य की छींटें आपके पैरों पर ना पड़े.
▪️ ध्यान रहे इस दिन पूजा में भूलकर भी गणेश भगवान को तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए. एक पौराणिक कथा के अनुसार, तुलसी जी ने गणेश जी की अवहेलना की थी जिस कारण से उन्हें श्राप मिला. तभी से गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र चढ़ाने की मनाही है.
▪️ इस दिन गणेश जी के वाहन मूषक को भी सताना नहीं चाहिए, वरना भगवान गणेश नाराज हो जाते हैं.