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Shardiya Navratri 2022: नवरात्रों में क्यों की जाती है देवी दुर्गा के आठों रूपों की पूजा? ये है कारण...

 

Shardiya Navratri 2022: हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता माने जाते हैं. जो सभी अपने-अपने विशेष शक्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं. इसी प्रकार धन की देवी 'माता लक्ष्मी' मानी जाती हैं. निसंदेह माता लक्ष्मी का वैभव हर कोई जानता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूप होते हैं?

जी हां, देवी लक्ष्मी को अष्ट लक्ष्मी के रूप में जाना जाता है. क्योंकि देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूप पाए जाते हैं. इन आठों स्वरूपों के अलग-अलग अर्थ होते हैं और उनकी पूजा करने से अलग अलग फल प्राप्त होता है. तो जान लीजिए देवी लक्ष्मी के इन 8 स्वरूपों का अस्तित्व और इनकी महिमा.

प्रथम स्वरूप महालक्ष्मी का

माता लक्ष्मी का सबसे पहला और विशाल स्वरूप महालक्ष्मी का कहा जाता है. महालक्ष्मी को आदिलक्ष्मी भी कहा जाता है. हिंदू घरों में अधिकतर महालक्ष्मी का पूजन ही किया जाता है. सौभाग्य की लक्ष्मी महालक्ष्मी विवाहित महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी होती हैं. महिलाओं को महालक्ष्मी से सुहागिन होने का आशीर्वाद मिलता है. इनका पूजन करने से आपके घर में कभी भी धन का भंडार भी कम नहीं होगा.

द्वितीय स्वरूप संतान की देवी संतान लक्ष्मी

संतान लक्ष्मी के नाम से ही यह पता चलता है कि यह देवी संतान के भविष्य और उनके कल्याण के लिए आशीर्वाद देती हैं. हिंदू माताओं को अपने बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए संतान की देवी संतान लक्ष्मी का पूजन पाठ करना चाहिए.

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तृतीय स्वरूप धन की देवी धन लक्ष्मी का

जीवन में धन हर कोई चाहता है, लेकिन अगर आप धन की देवी धन लक्ष्मी का पूजन करेंगे तो आपकी सारी आर्थिक समस्याएं दूर हो जाएंगी. धनलक्ष्मी अपने भक्तों के जीवन में धन का भंडार भर देती हैं. जो लोग धन लक्ष्मी को प्रसन्न कर लेते हैं उनके जीवन में धन की कोई कमी नहीं रहती है.

चतुर्थ स्वरूप अन्‍न की देवी 'धान्य लक्ष्मी' का

धान्य की लक्ष्मी अन्न तथा संपदा की देवी हैं. जो लोग धान्य लक्ष्मी का पूजन करते हैं उनके घर में अन्य की कोई कमी नहीं रहती है. देवी लक्ष्मी उनके घरों में अन्न का भंडार बनाए रखती हैं. देवी के इस स्वरूप को माता अन्नपूर्णा का स्वरूप भी माना जाता है. जो महिलाएं लक्ष्मी के इस स्वरूप का पूजन करती हैं उनके हाथों से खाना भी बेहद स्वादिष्ट बनता है.

पांचवा स्वरूप तरक्की की देवी 'गज लक्ष्मी' का

देवी लक्ष्मी का पांचवा स्वरूप है गजलक्ष्मी का. इस स्वरूप में गज लक्ष्मी देवी हाथी पर विराजमान होती हैं. गज लक्ष्मी का पूजन व्यापारियों और कारोबारियों को विशेष तौर पर करना चाहिए. गजलक्ष्मी तरक्की और उन्नति में सहायता करती हैं. राज को समृद्धि प्रदान करने वाली गज लक्ष्मी देवी को राजलक्ष्मी भी कहा जाता है. देवी के इस स्वरूप का पूजन करने के साथ ही आप श्री यंत्र का पाठ तथा पूजन भी अवश्य कर सकते हैं.

छठा स्वरूप विजय की देवी 'वीरा लक्ष्‍मी' का

देवी लक्ष्मी के छठे स्वरूप को वीरालक्ष्मी कहा जाता है. देवी के इस स्वरूप का पूजन करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है. भक्तों पर इनकी विशेष कृपा बनी रहती है. वीरा लक्ष्मी को माता कात्यायनी का स्वरूप भी माना जाता है. देवी के इस रूप ने महिषासुर का वध करके भक्तों की रक्षा की थी. इसी प्रकार इनका पूजन करने वाले हर भक्त की यह रक्षा किया करती हैं.

सातवां स्वरूप वीरों की देवी 'विजय लक्ष्मी' का

देवी लक्ष्मी का सातवां स्वरूप विजयलक्ष्मी का है. जिन्हें जयलक्ष्मी भी कहा जाता है. इस स्वरूप में देवी अष्टभुजी माता का पूजन किया जाता है. यह देवी आपको हर क्षेत्र में विजय दिलाती हैं. कोई युद्ध हो या कोर्ट कचहरी का मामला वीरा लक्ष्मी आपको सफलता प्रदान करने में सहायता करती हैं.

आंठवा स्वरूप विद्या की देवी 'विद्या लक्ष्मी' का

देवी लक्ष्मी का आठवां स्वरूप विद्यालक्ष्मी का है. विद्या की आवश्यकता हम सभी को है, इसीलिए बड़ा हो या छोटा विद्या लक्ष्मी का पूजन पाठन हर किसी को करना चाहिए. विशेषकर विद्यार्थियों को विद्यालक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इससे देवी की विशेष कृपा विद्यार्थियों पर बनी रहती है.