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Shardiya Navratri 2022: नवरात्रे के 6वें दिन करें माता के इस स्वरूप का पूजन, दूर होगी जीवन की हर उलझन

 

Shardiya Navratri 2022: इस वर्ष 2022 में 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है. इस नवरात्रि के हर दिन माता रानी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जा रही है. जिसका प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. उसी प्रकार द्वितीय माता ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है.

इसी क्रम में नवरात्रि के छटे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है. सिंह पर सवार माता कात्यायनी देवी का भव्य स्वरूप है. जिनकी पूजा पाठ करके आप विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं. तो आइए, कात्यायनी देवी की पूजा से जुड़ी विधि, शुभ मुहूर्त और उनकी आरती जान लेते हैं.

नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की इस प्रकार करें पूजा

1. प्रातः काल उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं.
2. इसके पश्चात अपने घर के मंदिर को स्वच्छ करें और माता रानी की प्रतिमा को स्थापित करें.
3. रानी देवी को पीले रंग के वस्त्र पसंद हैं, अतः उनको गंगाजल से स्नान कराकर आप पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें.
4. देवी को कुमकुम का तिलक लगाएं और पुष्प अर्पित करें.
5. माता कात्यायनी को शहद के साथ पांच फलों का भोग लगाएं.
6. माता कात्यायनी की पूजा के लिए स्त्रोत और आरती का पाठ करें.

माता कात्यायनी के मंत्रों के जाप से होगी हर दुविधा दूर

मां कात्यायनी का मंत्र

ॐ देवी कात्यायन्यै नम:
मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी

मां कात्यायनी स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्

मां कात्यायनी का स्त्रोत पाठ

कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी

मां कात्यायनी कवच मंत्र

कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी

मां कात्यायनी की आरती करने से होंगे पूरे हर काम

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की

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झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिए

हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को 'चमन' पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे