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Suryadev Ki Aarti: सूर्यदेव को इस चमत्कारी आरती से करें प्रसन्न, बरसेगी कृपा ही कृपा

 

Suryadev ki Aarti: हिंदू धर्म में जहां शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है. तो वहीं रविवार के दिन सूर्य़देव की उपासना की जाती है. सूर्य़देव भगवान शनि के ही पिता है, जोकि हिंदू धर्म में एक प्रमुख देव के तौर पर पूजे जाते हैं. सूर्य़देव की कृपा पाने के लिए और निरोगी काया का सुख पाने के लिए प्रत्येक रविवार को सूर्यदेव को अघ्र्य दिया जाता है. ऐसे में यदि हर रविवार को आप भी सूर्यदेव की उपासना करते हैं.

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तो आपको भी रविवार को सूर्यदेव की इस आरती का गान करना चाहिए. ताकि आपको स्वास्थ्य लाभ मिल सके. साथ ही सूर्यदेव की आरती का गान करने से आपको नौकरी और व्यापार में सफलता भी प्राप्त होती है. साथ ही धन का लाभ भी मिलता है. सूर्यदेव की उपासना के दौरान इस चमत्कारी आरती के गान से आपके सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं, साथ ही आपके भाग्य में भी वृद्धि होती है. तो चलिए जानते हैं….

यहां पढ़िए सूर्यदेव की आरती

https://www.youtube.com/watch?v=6iAwhF_nCbI

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

https://www.youtube.com/watch?v=S-JZIL96kYI

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

https://www.youtube.com/watch?v=D_SpsYP6HoA

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान,
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।