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इन राशि वालों पर मेहरबान रहते हैं असुरों के गुरु शुक्र, जानें यहां..

 

जिसके मन में गुरु के लिए सम्मान होता है, उसके क़दमों में एक दिन ये सारा जहान होता है. गुरु का काम ही अंधकारमय जीवन से प्रकाश की ओर ले जाना है. इसलिए देव हो, दानव हो या फिर इंसान हर किसी के लिए गुरु पूजनीय है.

हिंदू धर्म में बृहस्पति जहां देवों के गुरु है, तो वहीं दैत्यों और राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य हैं. दोनों ही गुरुओं का अपना अपना दिन निश्चित है.

गुरुवार जहां देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है. वहीं शुक्रवार का दिन दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य को समर्पित है. ऐसे में जानते हैं दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य व्यक्ति को क्या कुछ देते हैं.

क्यों उनको अराधना सौंदर्य, धन-धान्य और एशो आराम की जिंदगी देती है. मत्स्य पुराण कहता है श्वेत वर्ण शुक्राचार्य सिर पर सुंदर मुकुट, गले में माला और अपने चार हाथ में दंड, वरदमुद्रा, रुद्राक्ष की माला और पात्र धारण किये.

अगर किसी पर मेहरबान हो जाए फिर तो व्यक्ति का जीवन भोग विलास्ता से लेकर भौतिक सुखों से भर जाता है. तो नवग्रहों में शुक्राचार्य शुक्र ग्रह बनकर तीनों लोकों का कल्याण करते हैं.

वृष और तुला राशि के स्वामी हैं जो कि गुरु शुक्राचार्य का वीर्य से संबंध है और वीर्य का संबंध जन्म से है. इसलिए सृष्टि के रचियता ब्रह्मा की सभा में ये शुक्र ग्रह बनकर उपस्थित रहते हैं.

नवग्रहों में अगर सूर्य को राजा माना गया है तो वहीं शुक्र को रानी कहा गया है. कला, सौंदर्य, भोग-विलास्ता,ऐश्वर्य और भौतिक सुखों के कारक शुक्राचार्य का आर्शिदवाद व्यक्ति को ऐशो आराम की जिंदगी देता है.

ऐसे में वो कौन सी दो राशियां है, जो शुक्र के प्रभाव में गुरु शुक्राचार्य की कृपा दृष्टि में रहते हैं तो शुक्र की पहली राशि, वृषभ है.

वृषभ राशि

इस पृथ्वी तत्व की राशि पर शुक्राचार्य का सकारात्मक दृष्टि रहती है. इस राशि में बुध की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, इस राशि को सौंदर्य, साहस, आत्मविश्वास की राशि माना जाता है. इस राशि के जातक वाणी और धन-घान्य से प्रभावित रहते हैं.

लेकिन साथ ही जिद्दी और क्रोधी स्वभाव के होते हैं.  इनको शुरुआत में काफी संघर्ष करना पड़ता है. लेकिन तीस वर्ष के बाद खूब सफलता पाते हैं. शुक्र की दूसरी राशि तुला है.

तुला राशि

तुला राशि पर भी गुरु शुक्राचार्य की हर वक्त कृपा रहती है. वायु तत्व की तुला राशि शुक्र के साथ-साथ शनि की भी प्रिय होती है और जो कि शुक्र-शनि में मित्र जैसे संबंध होते हैं. इसलिए ग्लेमर और धन-धान्य के धनी होते हैं.

इन लोगों के पास संतुलन साधने की कला होती है. शुरुआत में करियर को लेकर खूब भटकते हैं. लेकिन बाद में अपार सफलता हासिल करते हैं.

कहते हैं जन्मस्थान से दूर जाकर ही कामयाबी इन लोगों के कदम चूमती है. अगर शनि इस राशि में सबसे मजबूत होता है. तो वहीं सूर्य सबसे कमजोर होते हैं.

अब यहा गौर करने वाली बात ये है कि तुल और वृषभ, दोनों ही शुक्र की राशि है, लेकिन दोनों की विशेषता और बर्ताव अलग-अलग है.

एक पृथ्वी तत्व की राशि है और दूसरी वायु तत्व की राशि है और जल तृत्व के शुक्र , जो कि स्वयम् दैत्य गुरु शुक्रचार्य हैं. वो इन लोगों को हमेशा ऐशो आराम की जिंदगी का भोग करवाते हैं.

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