वैभव लक्ष्मी का व्रत रखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी के अनेक रूपों की पूजा अलग-अलग विधि विधान से की जाती है. मां लक्ष्मी के अनेक नाम प्रचलित है. कोई इन्हें धनलक्ष्मी, तो कोई वैभव लक्ष्मी के नाम से पूजता है. यह व्रत शीघ्र फलदाई होता है. इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. घर सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है. यह व्रत परिवार का कोई भी सदस्य कर सकता है. इस व्रत को रखने के अनेक नियम इस प्रकार हैं-
वैभव लक्ष्मी के व्रत के सामान्य नियम
-यह व्रत सौभाग्यशाली स्त्रियां करें, तो उनको अति उत्तम फल मिलता है. घर में यदि सौभाग्यशाली स्त्रियां ना हो तो कोई भी स्त्री एवं कुमारी कन्या भी यह व्रत कर सकती है.
-स्त्री के बदले पुरुष भी यह व्रत करें तो उसे भी उत्तम फल की प्राप्ति अवश्य होती है.
-यह व्रत पूरी श्रद्धा और पवित्र भाव से करना चाहिए. खिन्न होकर या बिना भाव से व्रत करने पर इसका फल नहीं मिलता.
-शुक्रवार के दिन व्रत शुरु करते वक्त 11 या 21 शुक्रवार की मन्नत रखना जरूरी होता है.
-शास्त्रीय विधि अनुसार व्रत करना चाहिए. मन्नत के शुक्रवार पूरे होने पर विधिपूर्वक शास्त्रीय विधि अनुसार उद्यापन विधि करनी चाहिए. यह विधि सरल होती है. किंतु शास्त्री विधि अनुसार व्रत ना करने पर व्रत का जरा भी फल नहीं मिलता है.
-एक बार व्रत पूरा करने के पश्चात फिर मन्नत कर सकते हैं, और फिर से व्रत कर सकते हैं.
-मां लक्ष्मी देवी के अनेक रूप हैं. उनमें उनका 'धनलक्ष्मी स्वरूप' ही 'वैभवलक्ष्मी' है और माता लक्ष्मी को श्री यंत्र अति प्रिय है. श्री गजलक्ष्मी, श्री अधिलक्ष्मी, श्री विजयालक्ष्मी, श्री ऐश्वर्यलक्ष्मी, श्री वीरलक्ष्मी, श्री धान्यलक्ष्मी, श्री संतान लक्ष्मी, मां के इन रूपों और श्री यंत्र को प्रणाम करना चाहिए.
-घर में सोना ना हो तो चांदी की चीज पूजा में रखनी चाहिए. अगर वह भी ना हो तो रुपया रखना चाहिए.
-व्रत पूरा होने पर कम से कम 7 स्त्रियों को या अपनी इच्छा अनुसार जैसे 11, 21, 51,101, स्त्रियों को वैभव लक्ष्मी व्रत की पुस्तक कुमकुम का तिलक करके भेंट के रूप में देनी चाहिए. जितनी ज्यादा पुस्तक आप देंगे उतनी मां लक्ष्मी की ज्यादा कृपा होगी.
-व्रत के शुक्रवार को स्त्री मासिक धर्म से पीड़ित हो, तो उसे उस दिन व्रत नहीं रखना चाहिए.
-व्रत की विधि शुरू करते वक्त 'श्री यंत्र' और बाद में मां लक्ष्मी के 8 रूपों को प्रणाम करें. फिर 'लक्ष्मी स्तवन' का पाठ करें.
-व्रत के दिन हो सके तो उपवास करना चाहिए. और शाम को व्रत की विधि करके मां का प्रसाद लेकर ग्रहण करना चाहिए.
-अगर ना हो सके, तो फलाहार या 1 बार भोजन कर सकते हैं. अगर व्रत धारी का शरीर बहुत कमजोर हो, तो दो बार भोजन कर सकते हैं.
-व्रत के दिन सुबह स्नान आदि के बाद जय मां लक्ष्मी, जय मां लक्ष्मी, का मन ही मन ध्यान करना चाहिए.
-यह व्रत अपने घर पर ही करना चाहिए. यदि किसी वजह से यात्रा पर जाना पड़ जाए, तो उस दिन का व्रत छोड़कर दूसरे शुक्रवार का व्रत करना चाहिए.
सबसे महत्व की बात यह है कि व्रत धारी मां लक्ष्मी जी पर पूरी श्रद्धा और भावना का भाव रखें. मां उसकी सदैव रक्षा और सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगी.
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