Lohri 2023: दुल्ला भट्टी की कहानी के बिना अधूरा माना जाता है लोहड़ी का पर्व, जरूर सुनें
Lohri 2023: हर साल लोहड़ी का पर्व बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लोहड़ी के दिन मुख्य तौर पर अच्छी फसल आने की कामना की जाती है, इसके साथ ही इस दिन अग्नि देवता की उपासना की जाती है.
लोहड़ी वाले दिन अग्नि को जलाकर उसके चारों ओर परिक्रमा की जाती है, इसके साथ ही अग्नि में तिल, गजक, रेवड़ी इत्यादि को अर्पित किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोहड़ी का पर्व इस एक कहानी को सुने बिना अधूरा माना जाता है,
यदि नहीं तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको यह बताएंगे, कि लोहड़ी का पर्व आखिर किसकी वजह से मनाया जाता है? तो चलिए जानते हैं…
लोहड़ी का पर्व और दुल्ला भट्टी का संबंध
दुल्ला भट्टी को पंजाब का नायक कहा जाता है, जो कि आम व्यक्तियों को जीवन में संघर्ष से विजय की ओर ले जाने के लिए जाने जाते हैं. अकबर के शासन काल में पंजाब के एक छोटे से गांव में एक युवक रहता था,
जिसका नाम था दुल्ला भट्टी. दुल्ला भट्टी ने अपने साहस और बहादुरी के दम पर कई सारी लड़कियों को जिस्मफरोशी के धंधे में जाने से बचाया था,
इतना ही नहीं दुल्ला भट्टी ने अपने दम पर उन लड़कियों की शादी कराई और उन्हें एक नया जीवन प्रदान किया. तभी से लोहड़ी वाले दिन दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाई जाती है और अनेक तरह के लोकगीतों को गाया जाता है.
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यही कारण है कि लोहड़ी वाले दिन दुल्ला भट्टी की कहानी को हर किसी को सुनाया जाता है और लोहड़ी के दिन को विजय दिवस के तौर पर नाच गाना करके मनाया जाता है.
लोहड़ी वाले दिन खास तौर पर पंजाबी और हरियाणा के लोग बेहद उत्साह और उमंग के साथ इस त्योहार को मनाते हैं.