Mangalyaan: ISRO के मंगलयान मिशन की क्या रही उपलब्धियां, जानें इसके रोचक तथ्य

 
Mangalyaan: ISRO के मंगलयान मिशन की क्या रही उपलब्धियां, जानें इसके रोचक तथ्य

Mangalyaan: भारत दुनिया के उन देशों में है जिसने मंगल के लिए मिशन छोड़ा है. लगभग 11 महीने की यात्रा के बाद मंगलयान मंगल ग्रह के पास पहुंच गया. ये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की बड़ी उपलब्धि है. भारत के लिए ये बहुत ही गर्व की बात है कि पहली बार किसी देश की स्पेस एजेंसी अंतरिक्षयान मंगल तक पहुंचा. उसकी कक्षा में सेट करके पूरी दुनिया में इसरो और भारत का नाम गर्व से लिया गया. Mangalyaan से जुड़ी और भी कई बातें हैं जिन्हें हर भारतीयों को जानना चाहिए.

क्या हैं Mangalyaan से जुड़ी रोचक बातें

Mangalyaan: ISRO के मंगलयान मिशन की क्या रही उपलब्धियां, जानें इसके रोचक तथ्य
Image credit: nasa
  1. मंगलयान 6 महीने के मिशन के लिए भेजा गया था. 8 साल और 8 दिन तक ये आखिरी सांस तक चक्कर लगाकर लाल ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाता रहा. इसमें मंगल ग्रह की तस्वीर भी ली गई.
  2. हाइली एलिप्टिकली ऑर्बिट जियोमेट्री से लेकर नजदीकी प्वाइंट्स तक इसकी तस्वीर कैप्चर की गई. इसी ऑर्बिट के कारण ISRO के वैज्ञानिक मंगल का फुल डिस्क मैप बना.
  3. पहली बार मंगल ग्रह के चंद्रमा डिमोस की फोटो तब ली गई जब मंगलयान मंगल ग्रह की अंडाकार ऑर्बिट के चक्कर काट रहा था. इसके पहले ऐसी तस्वीर किसी देश ने नहीं ली थी.
  4. मंगलयान के मार्स कलर कैमरा ने 1100 से ज्यादा तस्वीरें भेजी गईं. इसकी मदद से इसरो ने एक मार्स एटलस बनाया जिसमें मंगल ग्रह के अलग-अलग तस्वीरों को देखा जा सकता है.
  5. देश और ISRO मात्र 450 करोड़ में ये मिशन पूरा करने के काफी करीब है. पहली बार अपने स्पेशशिप को वे मंगल ग्रह तक पहुंचाने में कामयाब होंगे. अमेरिका, यूरोप, रूस जैसे देश कई बार इसमें फेल हुए.
  6. मंगलयान से मिले डेटा और देश-दुनिया के वैज्ञानिक रिसर्च कर सकते हैं. देश के शैक्षणिक संस्थानों के स्टूडेंट्स ISRO से मंगल मिले डेटा पर थीसिस बना सकते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत को मंगल ग्रह से संबंधित डेटा को पाने के लिए अमेरिका, यूरोप और दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ेगा. जब तक मंगलयान-2 नहीं बन जाता तब तक मंगल ग्रह से कोई खबर भारत को मिलना बहुत मुश्किल होगा. कोई नया नक्शा नहीं बन सकेगा और ना ही इसपर किसी तरह का नया रिसर्च ही हो पाएगा.

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