NASA का ये “हनुमान” कवच सूरज को “छू” आया, जानिए क्या हैं ख़ासियत ?

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Source- NASA/Twitter

NASA ने अंतरिक्ष में काफी तरक़्की कर ली हैं। विज्ञान को आगे के जाने में NASA का अहम योगदान हैं। नासा के एक अंतरिक्ष यान ने पहली बार सूरज की मैगनेटिक फ़ील्ड को छू लिया है, जिसका तापमान क़रीबन 10 लाख से 20 लाख डिग्री सेल्सीयस तक होता हैं। वैसे तो पृथ्वी से सूरज की दूरी लगभग 14 करोड़ 32 लाख किलोमीटर की हैं।

सूरज के पास स्पेसक्राफ्ट भेजने का मकसद क्या था?

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA जिसमें अधिकतर वैज्ञानिक भारतीय हैं। उसने इस सोलर मिशन को साल 2018 में लॉन्च किया था, जिसका मकसद हैं सूरज के स्वभाव को समझना। अब तक कोई भी अंतरिक्ष यान, सूर्य का कोरोना, जिसे Magnetic Field भी कहते हैं, उसे छू नहीं पाया था। असल में सूरज की सतह से लाखों किलोमीटर दूर तक आग की लपटें उठती हैं। ये लपटें सूरज की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की वजह से जितने क्षेत्र तक सीमित रहती हैं। उस क्षेत्र को कोरोना या सूर्य की Magnetic Field भी कहते हैं।

ऐसा अनुमान हैं कि यहां तापमान 10 से 20 लाख सेल्सियस डिग्री तक हो सकता हैं। ये पहली बार हुआ हैं, जब कोई अंतरिक्ष यान इस कोरोना को छूने में सफल रहा हो। अब ये मिशन साल 2025 तक ऐसे ही जारी रहेगा और इस दौरान ये अंतरिक्ष यान सूर्य के इर्द-गिर्द कुल 24 कक्षाओं से गुजरेगा। नासा के इस मिशन से पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को पहली बार सोलर विंड्स के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी। हालांकि आपमें से बहुत से लोगों का ये सवाल होगा कि ये अंतरिक्ष यान सूरज के इतने करीब जाने के बाद भी जला क्यों नहीं?

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असल में इस अंतरिक्ष यान पर Carbon Particles से बनी एक थर्मल शील्ड लगी हैं, जो इस यान को जलने से बचाती हैं। इसके अलावा इसके अन्दर एक कूलिंग सिस्टम भी हैं, जो इसे लगातार ठंडा रखता हैं। पृथ्वी से सूरज की दूरी भले ही 14 करोड़ 32 लाख किलोमीटर हैं। लेकिन अगर करोड़ों भारतीयों के मन से सूर्य की दूरी को देखें तो सूर्य हमें अपने काफी करीब नजर आता हैं।

पवन पुत्र भगवान श्री हनुमान जी से जुड़े कई प्रसंगों में भी सूर्य देवता का उल्लेख मिलता हैं। मान्यता है कि बाल अवस्था में एक बार माता अंजनि अपने पुत्र हनुमान को सुलाकर अन्य कामों में व्यस्त हो गईं। इसके कुछ देर बाद जब हनुमान ही की आंखें खुलीं और उन्हें भूख की अनुभूति हुई तो उन्होंने आकाशमण्डल में सूर्य को देखा और उसे कोई बड़ा सा लाल फल समझकर उसे खाने के लिए आकाश की ओर चले गए।

जैसे ही उन्होंने सूर्य को फल समझकर निगलने की कोशिश की तो इंद्र देवता ने अपने वज्र से उन पर प्रहार कर दिया और हनुमान इस प्रहार से पृथ्वी पर आ गिरे। भारत में सूर्य देवता का मन्दिर भी हैं। ये भव्य मन्दिर, ओडिशा के कोणार्क में स्थित हैं, जिसे 13वीं शताब्दी में यानी आज से 800 वर्ष पूर्व बनाया गया था। ये मन्दिर सूर्य देवता के भव्य रथ का प्रतिबिम्ब हैं।

जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं। इस्लाम और ईसाई धर्म की स्थापना से पहले एशिया और यूरोप की सभ्यताओं में भी सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता था। ईजिप्ट में सूर्य देवता को ‘रा’ के नाम से पूजा जाता हैं। जबकि ईरान में सूर्य देवता को मित्र के नाम से पूजा जाता हैं।जबकि रोमन साम्राज्य में इसे सोल के नाम से पूजा जाता था।

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