Rishabh Pant को लिगामेंट सर्जरी के बाद होगी कितनी दिक्कत, जानें पूरी प्रक्रिया और कब होंगे ठीक

 
Rishabh Pant को लिगामेंट सर्जरी के बाद होगी कितनी दिक्कत, जानें पूरी प्रक्रिया और कब होंगे ठीक

Rishabh Pant: इंडिया के स्टार बल्लेबाज और विकेटकीपर ऋषभ पंत (Rishabh Pant) की एक्सीडेंट के बाद डॉ दिनशॉ पारदीवाला के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में लिगामेंट सर्जरी की जाएगी. जिसके चलते वो लगभग 8-9 महीने तक क्रिकेट से दूर रहेंगे. लेकिन ये बड़ी बात है कि उनके लिए वापसी करना कितना आसान होगा. तो आइए आज इसी बारे में जानते हैं.

बीसीसीआई रखेगी पंत का ध्यान

आपको बता दें कि पंत की सर्जरी को लेकर BCCI सचिव जय शाह (Jay Shah) ने कहा था कि, ऋषभ की लिगामेंट की चोट के लिए सर्जरी होगी और उन्हें बाद की प्रक्रियाओं से गुजरना होगा. उनके उबरने और रिहैबिलिटेशन के दौरान बीसीसीआई की चिकित्सा टीम उनका ध्यान रखेगी. शाह ने कहा, बोर्ड ऋषभ की उबरने की प्रक्रिया में सहायता और तेजी लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा और इस अवधि के दौरान उसे हर संभव सहायता प्रदान करेगा.गुरुवार को पंत की जांच की गई. जहां उनके शरीर पर सूजन के चलते एमआरआई या सर्जरी नहीं की जा सकी.

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पंत के साथ हादसे में हुआ ऐसा

लिगामेंट टिश्यू एक तरह से रस्सीनुमा तंतुओं का समूह होता है. जो एक हड्डी को दूसरे से जोड़ते हैं. इनकी वजह से ही हड्डियों के जोड़ ठीक तरह से काम कर पाते हैं. लेकिन किसी छोटे या बड़े हादसे की वजह से अगर इनमें जरूरत से ज्यादा खिंचाव या कोई दबाव आता है तो यह फटने लगते हैं. इस स्थिति को लिगामेंट टियर कहते हैं.

Rishabh Pant को लिगामेंट सर्जरी के बाद होगी कितनी दिक्कत, जानें पूरी प्रक्रिया और कब होंगे ठीक

लिगामेंट इंजरी के तीन स्तर होते हैं. ग्रेड 1 (हल्का लिगामेंट टियर),  ग्रेड 2 (मीडियम लिगामेंट टियर) और ग्रेड 3 (कंप्लीट लिगामेंट टियर). सभी घुटनों के सुचारू रूप से काम करने के लिए जिम्मेदार होते हैं. इनमें दिक्क्त होती है तो ये सही तरह से काम नहीं करता है.

लिगामेंट इंजरी का ऐसा लगता है पता

लिगामेंट में चोट है ये जानने के लिए डॉक्टर एक्स-रे या एमआरआई की मदद से जांच करता है. दर्द, सूजन, चलने में दिक्कत के आधार पर लिगामेंट की जांच की जाती है और उसी के बाद इलाज किया जाता है.

ऐसे होता है लिगामेंट का इलाज

इसका इलाज इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है. अगर नुकसान हल्का है जैसे टखने में आई मामूली मोच तो आइसिंग करके ठीक हो सकती है. लेकिन अगर नुकसान ज्यादा है तो उसका इलाज लंबा होता है. इसके भी तीन स्तर होते हैं.

ग्रेड 1: इसमें मामूली और हल्की मोच का इलाज आराम करके, बर्फ, दवा और फिजियोथेरेपी के माध्यम से किया जाता है.
ग्रेड 2: लिगामेंट के आंशिक रूप से टूटने की कंडीशन में भी आराम, बर्फ, दवा, फिजियोथेरेपी से इलाज किया जाता है.
ग्रेड 3: लिगामेंट अगर पूरी तरह से फट गया तो उसमें इलाज के लिए कई स्तर की प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं जिसमें लिगामेंट के रिकन्स्ट्रक्शन के लिए ऑपरेशन भी शामिल है. 

सर्जरी में होता है ये काम

ये सर्जरी आर्थ्रोस्कोपिक तकनीक के जरिए की जाती है. आमतौर पर इसमें शरीर से किसी हिस्से से हेल्दी स्किन काटकर निकाल उसे जोड़ों में प्लांट किया जाता है. जो भी लिगामेंट टूट गया है, उसे रिपेयर कर दिया जाता है. 45 साल से कम उम्र के लोगों में इस सर्जरी के सफल होने की ज्यादा संभावना होती है.

रिहैबिलिटेशन लिगामेंट सर्जरी का अहम पार्ट

इस मुश्किल सर्जरी के बाद मरीज को रिहैबिलिटेशन प्रॉसेस से गुजरना होता है. जो बेहद ही कठिन होती है. इससे रोगी को शरीरी और मानसिक तौर तर जल्दी ही ठीक करना होता है. इस सर्जरी के बाद रिहैबिलिटेशन के जरिए जोड़ों की मूवमेंट बढ़ाने पर काम किया जाता है और फिर धीरे-धीरे आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने की कोशिश होती है. इस प्रक्रिया के पूरे होने में 6 महीने या उससे ज्यादा वक्त लगता है.

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