{"vars":{"id": "109282:4689"}}

FIFA World Cup 2022 में पाकिस्तान का है बहुत बड़ा योगदान, जान कर रह जाएंगे हैरान

 

FIFA World Cup 2022: पूरी दुनिया इस समय फुटबॉल के रंग में रगी हुई है. कतर में खेले जा रहे फुटबॉल विश्व कप के हर मैच का लोग जमकर आनंद ले रहे हैं. लेकिन फुटबॉल की खुमारी के बीच पाकिस्तान का भी बड़ा योगदान है. यह योगदान थोड़ा हटकर है. दरअसल, कतर फीफा विश्व कप 2022 में जिस ऑफिशियल फुटबॉल एडिडास अल रिहला का इस्तेमाल हो रहा है, उसे पाकिस्तान के सियालकोट में तैयार किया गया है.

FIFA World Cup 2022:

credit- twitter

बता दें कि अधिकतर फुटबॉल पाकिस्तान के पूर्वोत्तर में कश्मीरी सीमा से सटे शहर सियालकोट में बनते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के दो-तिहाई से ज्यादा फुटबॉल इसी शहर के अलग-अलग कारखानों से बनकर निकलते हैं.

आबादी का 8 प्रतिशत हिस्सा करता है ये काम

रिपोर्ट के मुताबिक, सियालकोट की आबादी का 8 प्रतिशत हिस्सा यानी करीब 60 हजार लोग फुटबॉल बनाने के काम से जुड़े हुए हैं. यहां बनी 80 प्रतिशत से ज्यादा गेंदों में हाथ से सिलाई की जाती है. एक्सपर्ट बताते हैं कि हाथ से बनी गेंद न सिर्फ ज्यादा चलती है बल्कि यह एयरोडायनेमिक्स के उन नियमों को भी पूरा करती है, जिसे विज्ञान कहा जाता है. हाथ से सिलकर बने फुटबॉल ज्यादा स्थिर होते हैं.

एक फुटबॉल पर मिलता है इतना पैसा

सियालकोट की एक फुटबॉल बनाने वाली कंपनी में काम करने वाले शख्स ने बताया कि एक फुटबॉल बनाने वाले को करीब 160 रुपये दिए जाते हैं. एक फुटबॉल को तैयार करने में 3 घंटे तक का समय लग जाता है. इस हिसाब से 9 घंटे की शिफ्ट में 3 फुटबॉल ही एक आदमी तैयार कर सकता है.

credit- twitter

ऐसी स्थिति में उसकी मासिक आय बहुत ज्यादा नहीं होती. एक रिपोर्ट की मानें तो सियालकोट में एक आम जिंदगी जीने के लिए कम से कम 20,000 रुपये प्रति महीने की जरूरत है, जबकि यहां काम करने वाले इतना पैसा नहीं कमा पाते. इस काम में अधिकतर महिलाएं ही हैं. महिलाएं दिन में 2-3 गेंद बना लेती हैं. 

धीरे-धीरे कम हो रहे अच्छे कारीगर

फुटबॉल बनाने के काम में पुरुष भी योगदान देते हैं, लेकिन वह सिलने से बाहर का काम होता है. वह काम कच्चा माल और सामग्री तैयार करते हैं या फिर क्वॉलिटी चेक करते हैं. वर्ष 1997 तक यहां ट्रेंड कारीगरों की भरमार थी, लेकिन अब इसकी कमी होती जा रही है.

इसकी वजह ये है कि 1997 से पहले इन फुटबॉल फैक्ट्रियों में 5 साल से कम उम्र के बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ आते थे. ऐसे में वह बचपन से ही फुटबॉल बनाना सीख जाते थे, लेकिन कानून बनने के बाद से उनकी एंट्री पर रोक लग गई और नई पीढ़ी इस तरफ नहीं आ रही है.

ये भी पढ़ें: FIFA World Cup 2022- जानें फीफा का पूरा इतिहास, कब हुआ शुरू और भारत ने कब किया था आखिरी बार क्वालिफाई