Rishabh Pant की आलोचना कर रहे लोगों को जरूर जाननी चाहिए ये बातें ?
Rishabh Pant: इन दिनों भारतीय टी-20 टीम के कप्तान ऋषभ पंत (Rishabh Pant) अपनी लचर प्रदर्शन के बाद आलोचकों के निशाने पर हैं. साउथ अफ्रीका के खिलाफ चारों मैचों में पंत ने अहम मौकों पर गैर जिम्मेदाराना शॉट खेल अपना विकेट गंवाया है. जिसके बाद से उनकी जमकर आलोचना हो रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऋषभ पतं की टीम इंडिया का कप्तान बनने तक की ये जंग कितनी कठिन रही है अगर नहीं तो आज हम आपको टीम के कप्तान ऋषभ पंत की जिंदगी के कुछ ऐसे पहलूओं के बारें में बताने बाले हैं जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे.
1. ऋषभ पंत 4 अक्टूबर 1997 में हरिद्वार में पैदा हुए, उनके पिता राजेन्द्र पंत का सपना था कि उनका बेटा एक दिन देश के लिए क्रिकेट खेले और इसके लिए उन्होंने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया. बेटे को बेहतर क्रिकेट सुविधा देने के लिए वे रुड़की आए पर किसी ने उनसे कहा कि दिल्ली से बेहतर आसपास कुछ भी नहीं।
जिस वजह से अक्सर ऋषभ रात 2 बजे की बस पकड़ कर कभी-कभी दिल्ली जाया करते थे, ताकि वह 8 बजे के अभ्यास सत्र के लिए राजधानी पहुंच सके. इस पूरे सफर के दौरान उनकी मां ने भी उनका अहम साथ दिया।
2. रोज़ 2 बजे उठकर दिल्ली आना नामुमकिन था, इसीलिए ऋषभ पंत दिल्ली आ गए जहां वह मशहूर सोनेट क्लब में खेलने पहुंचे. यहां उनकी मुलाकात तारक सिन्हा से हुई जो शिखर धवन सहित कई खिलाड़ियों के कोच रहे हैं.
दिल्ली क्रिकेट संघ में चल रही राजनीति को देखते हुए तारक सिन्हा ने ऋषभ पंत को राजस्थान जाने को कहा ताकि उन्हें वह खेलने के ज्यादा मौके मिल सके। पंत राजस्थान गए और वहां वह अंडर-14 और अंडर-16 क्रिकेट खेलने में कामयाब भी हुए, लेकिन एक बाहरी होने के कारण उन्हें अकादमी से बाहर कर दिया गया।
3. ऋषभ फिर दिल्ली आए जहां कामयाब होने की भूख उनमें और तेज़ हो गई थी, वह भारत के लिए 2016 में अंडर-19 विश्व कप के लिए चुने गए। नेपाल के खिलाफ उन्होंने 18 गेंदों पर अर्धशतक भी ठोका जो अभी भी अंडर-19 क्रिकेट का सबसे तेज़ अर्धशतक है।
अगले ही मैच में उन्होंने नामिबिया के खिलाफ़ भी शतक जड़ दिया. इसी बीच IPL की नीलामी हुई और दिल्ली की टीम ने उन्हें 1.9 करोड़ की राशि में खरीदा।
4. 2016-17 के रणजी मुकाबलों के दौरान महाराष्ट्र के खिलाफ पंत ने 308 रनों की हैरतंगेज़ पारी खेली, वसीम जाफ़र, अभिनव मुकुंद के बाद वे ऐसा करने वाले तीसरे युवा बल्लेबाज़ और सिर्फ़ दूसरे विकेट कीपर बने। दिल्ली के लिए यह रमन लांबा के 1994 में बनाए गए 312 रनों के बाद दूसरी सबसे बड़ी पारी थी।
5. इसी सीजन में उन्होंने 48 गेंदों पर झारखंड के खिलाफ शतक बनाया जो रणजी इतिहास का सबसे तेज़ शतक है, इस दौरान उन्होंने पारी में 21 छक्के लगाए जो कि विश्व के किसी भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट मुकाबले में दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा है। न्यूज़ीलैंड के कॉलिन मॉनरो ऑकलैंड के लिए एक पारी में 23 छक्के मारने का विश्व रिकॉर्ड रखते हैं.
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