WPL 2023: भारत के लिए अंडर 19 महिला वर्ल्ड कप (under 19 women world cup 2023) में एक महिला खिलाड़ी ने शानदार प्रदर्शन किया था. ये खिलाड़ी उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर फिरोजाबाद के गांव राजा का ताल की रहने वाली हैं. जिनको अब महिला प्रीमियर लीग (WPL) के तहत अपने हुनर को पूरे देश के सामने एक बड़े मंच पर रखने का मोका मिलेगा. इसके साथ ही ये खिलाड़ी छोटे गांब कस्बों और शहरों की लड़कियों को प्रेरित करने का काम भी करेगी. ये खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि विश्व विजेता टीम की सदस्य सोनम यादव हैं. जो लेफ्टआर्म लेग स्पिन गेंदबाजी करती हैं. इन्हें चाइनामैन गेंदबाज भी कहा जाता है. ये बिल्कुल कुलदीप यादव की तहर गेंदबाजी करती हुईं नजर आती हैं. तो आज हम आपको इनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों के बारे में बताने वाली हैं.
सोनम यादव 16 साल की है. वो बाएं हाथ से स्पिन के अलावा वह मध्यक्रम की बल्लेबाज भी हैं. उन्होंने अंडर 19 विश्व कप के फाइनल में भी धमाल मचाया था. सोनमे ने विश्व कप में भारत के लिए छह मैच खेले और चार विकेट अपने नाम किए.
सोमन की पारिवारिक स्थिति
सोनम के पिता एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. पिता मुकेश यादव एक ग्लास फैक्ट्री में मजदूर हैं. अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए वो दो शिफ्टों में काम करते थे.उनकी मासिक पगार पर 6-7 लोगों का जीवन चलता था. ऐसें में सोनम और उनके परिवार को इस मुकाम तक पहुंचने में काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ा.

सोनम ने मुश्किल वक्त में नहीं मानी हार
सोनम के क्रिकेटर बनने के सफर में कभी-कभी ऐसे मुकाम भी आए. जब उनको काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बता दें कि एक समय ऐसा भी था जब सोनम के पास जूते तक खरीदने के पैसे नहीं थे. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सफर को जारी रखा. अंडर 19 विश्व कप जीतने के बाद मुंबई ने उनको महिला प्रीमियर लीग के लिए 10 लाख रुपये में खरीदा है.
सोनम ने 3 साल में भरी बढ़ी उड़ान
सोनम ने थाना टूंडला इलाके के राजा के ताल गांव से 13 साल की उम्र में ही अपने क्रिकेट करियर की शुरूआत की थी. 13 साल की सोनम मैदान में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थीं. वो गेंदबाजी में अपनी उम्र से बड़े खिलाड़ियों को आउट कर देती थीं. जिसके बाद उन्हें कोच रवि ने क्रिकेट के शुरूआत गुर सिखाए. जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 16 साल में इंडिया को विश्व विजेता बनाया.
सोनम यादव ने एएफपी न्यूज एजेंसी खास बातचीत की थी. जहां उन्होंने कहा कि, हमारे घर की हालत ठीक नहीं थी. 6-7 भाई बहनों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा मुश्किल होता था. ऐसे में मेरे भाई ने अपनी पढ़ाई 10वीं के बाद छोड़ दी और पापा के साथ फैक्ट्री में काम करने लगे.
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