अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया, जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया!
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा, तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो!
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा, मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा!
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना, हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है!
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है, मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे!
इसीलिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं, तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं!
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा मे, फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते!
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए!
कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िंदगी ने कह दिया, तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा!
चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी!