कैफ भोपाली के 10 चुनिंदा शेर

By Aakanksha harsh

तुझे कौन जानता था मेरी दोस्ती से पहले, तेरा हुस्न कुछ नहीं था मेरी शायरी से पहले

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है, तेरे आगे चाँद पुराण लगता है  

तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैं, सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है

आग का क्या है पल दो पल में लगती है, बुझते बुझते एक ज़माना लगता है

तेरा चेहरा सुबह का तारा लगता है, सुबह का तारा कितना प्यारा लगता है

तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है, तुम से बिछड़ कर शहद भी खरा लगता है

रात हमारे साथ-तू जग करता है, चांद बता तू कौन हमारा लगता है

किस को खबर ये कितनी कयामत धाता है, ये लड़का जो इतना बेचारा लगता है

तितली चमन में फूल से लिपि रहती है, फिर भी चमन में फूल कंवारा लगता है

'कैफ' वो कल का 'कैफ' कहां है आज मियां, ये तो कोई वक्त का मारा लगता है

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