सावन का महीना क्यों इतना अधिक प्रिय है शिव जी को, जानिए 10 कारण...
सावन के दिनों में ही शिव जी ने अपने मस्तक पर चद्रं देव को धारण किया था.
समुद्र मंथन के दौरान अमृत के साथ निकले विष को भी शिव जी ने सावन के दिनों में ही ग्रहण किया था.
सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करने पर व्यक्ति को 108 गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है.
सावन में मंगल गौरी व्रत पड़ता है, जिसे सबसे अधिक फलदाई व्रत माना गया है.
सावन के महीने में ही शिव जी के महा मृत्युंजय मंत्र की उत्पति हुई थी.
सावन के महीने में ही शिव जी माता पार्वती के साथ धरती पर अवतरित हुए थे.
डोंट मिस!