पढ़ें Waseem Barelvi के चुनिंदा शेर
"आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है, भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है!"
"ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं, तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी!"
"आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है, भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है!"
"जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा, किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता!"
"जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से, कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो!"
"किसी ने रख दिए ममता-भरे दो हाथ क्या सर पर, मेरे अंदर कोई बच्चा बिलक कर रोने लगता है!"
"किसी से कोई भी उम्मीद रखना छोड़ कर देखो तो ये रिश्ता निभाना किस क़दर आसान हो जाए!"
"कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता!"
"बहुत से ख़्वाब देखोगे तो आँखें, तुम्हारा साथ देना छोड़ देंगी!"
पढ़ें मजरूह सुल्तानपुरी के चुनिंदा शेर...