चीन की नई आर्थिक नीति का पूरी दुनिया पर होगा असर
चीन अभी विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। इसके साथ ही हर तरीके से मजबूत और उभरता हुआ देश में भी शामिल है। चीन ने हाल में ही अपने देश की अर्थव्यवस्था के संचालन के लिए नई आर्थिक नीति का गठन किया है।
इस नीति पर चीन का कहना है कि उसकी नई आर्थिक नीतियां अमीर- गरीबों के बीच की खाई को कम करेगी। लेकिन उसके विपरीत अन्य देशों का कहना है कि यह चीनी सरकार का नया तरीक़ा जिससे वह देश में व्यापार और लोगों को अधिक नियंत्रित कर सकती है।
एक खासियत है कि इसमें चीनी व्यवसाय का पूरा ध्यान घरेलू बाजार पर होगा ना कि वैश्विक बाजार पर।
साथ ही वरिष्ठ अधिकारी डेनियल ज़ांग के नेतृत्व में चीनी कंपनी अलीबाबा ने 15.5 अरब डॉलर के निवेश करके एक टास्क फ़ोर्स भी बनाई है। चीन की अन्य बड़ी टेक कंपनी टेन्सेंट भी इस मुहिम में भागीदारी ले रही है। इस नए अभियान के तहत कंपनी ने 7.75 अरब डॉलर का निवेश किया है।
लग्ज़री सेक्टर का होगा नुक़सान
लग्ज़री सामान की खपत वैश्विक स्तर पर देखी जाए तो दुनिया में चीन की हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत है। ऐसे में अगर चीन की धनी वर्ग स्विस घड़ियाँ, इतालवी टाई और यूरोपीय लग्ज़री कार ना खरीदने का फ़ैसला कर लें तो इस सेक्टर को काफी नुक़सान होगा।
चीन का नया 'समाजवाद'
नई आर्थिक नीति यानी कॉमन प्रॉस्पेरिटी, हिंदी में साझी समृद्धि मतलब समाज को और न्यायसंगत और बराबर बनाना। कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा नई आर्थिक नीति के जरिए वैश्विक स्तर पर समाजवाद की यही परिभाषा है।
पार्टी को अब आम श्रमिकों की चिंता है- जैसे कि टैक्सी ड्राइवर, प्रवासी मज़दूर और डिलीवरी बॉय। हालांकि यह तय है कि शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन पर कैसे शासन किया जाएगा, ये इन नई आर्थिक नीति का एक प्रमुख हिस्सा है।