अगर यूक्रेन को मिला Leopard 2 टैंक तो क्या रूस को युद्ध जीतना होगा कठिन? यहां समझें प्वाइंट टू प्वाइंट
रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) का युद्ध चलते हुए दो साल होने जा रहे हैं और यह जंग धीरे-धीरे कर के बढ़ती ही जा रही है. वहीं यूक्रेन की मदद अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश कर रहे हैं, जो कि रूस को बिल्कुल भी नहीं भा रहा है. जहां पहले जर्मनी ने अपना लेपर्ड 2 (Leopard 2) टैंक यूक्रेन को देने के लिए कहा था लेकिन अब उसने ये टैंक देने से इंकार कर दिया है.
ऐसे में सवाल उठ रहा है जर्मनी एकदम से बैकफुट पर क्यों चला गया? क्या अगर यूक्रेन को Leopard 2 टैंक मिल गया तो रूस के लिए युद्ध जीतना कठिन हो जाएगा? चलिए समझते हैं कि प्वाइंट टू प्वाइंट पूरे पेंच...
Leopard 2 टैंक देने से क्यों कर दिया मना?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पहले जर्मनी ने यूनाइटेड किंगडम से कहा था कि वह यूक्रेन को अपना लैपर्ड 2 भेजेगा लेकिन फिर अब उसने मना कर दिया है. जिसके पीछे का कारण रूस की धमकी देना माना जा रहा है, क्योंकि पुतिन लगातार मदद करने वाले देशों को चेता रहे हैं. उनका कहना है कि हथियार और टैंकों की मदद करने से यूरोप में संघर्ष बढ़ सकता है.
टैंक मिलने से क्या बढ़ सकती हैं रूस की मुश्किलें?
वहीं अगर यूक्रेन को Leopard 2 टैंक मिल जाता है तो रूस की मुश्किलें जंग के मैदान में बढ़ सकती हैं, क्योंकि इस टैंक को ऑलराउंडर माना जाता है, इसलिए ही पूरे यूरोप में युद्ध के लिए इसका अधिक प्रयोग किया जाता है. दरअसल, इस टैंक को साल 1970 में तैयार किया गया था. इस टैंक को मजबूती, गतिशीलता और सुरक्षा कवच के हिसाब से संपूर्ण माना जाता है.
क्या है Leopard 2 टैंक की खासियत?
बता दें कि जर्मनी इस टैंक को खुद ही तैयार करती है जिसका नाम क्रॉस मफेई वैगमैन है. इस टैंक की खासियत है कि ये 60 टन तक का भार उठा सकता है. साथ ही ये लेपर्ड 70 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड में करीबन 500 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकता है. इसके अलावा 120 मिमी स्पूथबोर तोप से यह लैस है. फायरिंग और आईइडी के ब्लास्ट को भी ये टैंक आराम से झेल सकता है.
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