नेपाल: विश्वास मत हारे प्रधानमंत्री केपी ओली, जानें अब किस तरह बनेगी नेपाली सरकार

 
नेपाल: विश्वास मत हारे प्रधानमंत्री केपी ओली, जानें अब किस तरह बनेगी नेपाली सरकार

नेपाल में करीब दो साल से जारी सियासी मशक्कत का अंत हो गया है. बमुश्किल विश्वास मत का सामना करने राजी हुए प्रधानमंत्री ओली को संसद में हार का मुंह देखना पड़ा. अब उन्हें इस्तीफा देना होगा. उनकी अपनी ही पार्टी के नेता लंबे वक्त से उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे. हालांकि, रविवार को एकबारगी यह लगा था कि ओली इस बार भी जोड़तोड़ करके कुर्सी बचा ले जाएंगे. पर ऐसा हो नहीं सका.

विरोध में 124 वोट

सोमवार को मतदान के दौरान कुल 232 सांसदों ने हिस्सा लिया. इनमें से 124 ने ओली के विरोध में जबकि 93 सांसदों ने उनके पक्ष में मतदान किया. वहीं 15 सांसद न्यूट्रल रहे. गौरतलब है ओली को सरकार बचाने के लिए कुल 136 वोटों की जरूरत थी. नेपाल की संसद में कुल 271 सदस्य हैं. माधव नेपाल और झालानाथ खनाल ग्रुप वोटिंग में शामिल नहीं हुआ.

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बतादें नप्रचंड की पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई थी. नेपाल में राजनीति संकट पिछले साल 20 दिसंबर को तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर संसद को भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को नए सिरे से चुनाव कराने का निर्देश दिया. ओली ने यह अनुशंसा सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में सत्ता को लेकर चल रही खींचतान के बीच की थी.

अब ओली केयरटेकर प्राइम मिनिस्टर

नेपाल के संविधान विशेषज्ञ डॉक्टर बिपिन अधिकारी ने myrepublica.nagariknetwork.com से कहा- विश्वास मत हारने के बाद ओली अब सिर्फ कार्यवाहक प्रधानमंत्री रह गए हैं. उनके पास संवैधानिक शक्तियां नहीं रहीं. अच्छा होगा कि वे इस्तीफा दें. एक रास्ता यह है कि जब तक नई सरकार नहीं बन जाती तब तक वे कामकाज संभालें.

नई सरकार कैसे बनेगी?

अधिकारी के मुताबिक, किसी भी पार्टी या गठबंधन के पास सरकार बनाने लायक सीटें नहीं हैं. सब बिखरे हुए हैं। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 13 मई गुरुवार तक सरकार बनाने का दावा पेश करने को कहा है. अगर कोई पार्टी या गठबंधन सरकार बनाने लायक सीटें नहीं जुटा पाता तो राष्ट्रपति किसी ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना सकती हैं जिसे दो या उससे ज्यादा पार्टियों का समर्थन हासिल हो. इससे एक नया गठबंधन बन सकता है. हो सकता है, दो विरोधी पार्टियां ही साथ आ जाएं. लेकिन, इतना तय है कि चुनाव कराने होंगे.

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