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Pak vs Taliban: तालिबान को पनाह देना पाकिस्तान को पड़ रहा भारी! जानें क्या होगा अंजाम

 

Pak vs Taliban: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी अब पाकिस्तानी सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है. टीटीपी के आतंकी पाकिस्तान में आतंकी हमले कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अफसरों की सरेआम हत्या कर रहे हैं. सत्ता में बैठे लोगों को धमका रहे हैं. ऐसे में तालिबान और पाकिस्तान के बीच कांटे की टक्कर चल रही है.

ये बात 12 साल पहले हिलेरी क्लिंटन ने कही थी. इसके जरिए वो पाकिस्तान को चेता रही थीं. उनके कहने का मतलब था कि पाकिस्तान अपने मुल्क में आतंकवादियों को पनाह दे रहा है, जिसका खामियाजा उसे भी भुगतना पड़ सकता है और आज जो हो रहा है उसी का परिणाम है.

Pak vs Taliban की लड़ाई कब से हुई शुरू

साल 2007 में कई सारे आतंकी गुट एक साथ आए और इनसे मिलकर बना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान. टीटीपी को पाकिस्तान तालिबान भी कहते हैं. इसका मकसद पाकिस्तान में पाकिस्तान में इस्लामी शासन लाना है. अगस्त 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने टीटीपी को बैन कर दिया था.

tehreek e taliban

जब अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान की सत्ता से तालिबान को बेदखल किया तो उसके आतंकी भागकर पाकिस्तान में बस गए थे. इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने इन न आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू कर दिया था. अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि टीटीपी का मकसद पाकिस्तानी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ आंतकी अभियान छेड़ना है और तख्तापलट करना है.

क्या तालिबान बदल रहा अपनी चाल?

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी तेजी से बदली है. कहा जाता है कि पहले टीटीपी में कई सारे गुट थे जो आपस में लड़ते-झगड़ते रहते थे, लेकिन अब सब एक हो गए हैं. अभी अफगान तालिबान खुलकर पाकिस्तान तालिबान के साथ नहीं आ रहा है. लेकिन अगर किसी दिन अफगान तालिबान ने टीटीपी से हाथ मिला लिया.तो हालात बिगड़ सकते हैं. 

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