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Pakistan Economic Crisis: पाक हुकुमत को सब्सिडी देना पड़ा महंगा, IMF ने मांगा जवाब

 

Pakistan Economic Crisis: कंगाली से जूझ रहे पाकिस्‍तान ने अब अपने ही पैर पर कुल्‍हाड़ी मार ली है.पाकिस्‍तानी हुकूमत ने अपने यहां पेट्रोल और गेहूं के आटे पर सब्सिडी का ऐलान किया है, जिससे इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने नाराजगी जाहिर की है. IMF ने शहबाज शरीफ की हुकूमत के ईंधन पर सब्सिडी देने की मंशा पर सवाल उठाया है और कहा है कि इस बारे में उनसे कोई सलाह नहीं ली गई थी.

पाकिस्‍तानी अखबार एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून के मुताबिक, पाकिस्‍तानी हुकूमत ने मुल्‍क में अरबों रुपये की पेट्रोल सब्सिडी का ऐलान किया है. इसके अलावा वो 73 अरब रुपये की सब्सिडी गेहूं के आटे पर देने जा रही है. बताया जा रहा है कि हुकूमत अब 800 सीसी की कार और मोटरसाइकिल रखने वाले लोगों को पेट्रोल पर 50 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देगी. यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जबकि चीन ने उसे करोड़ों डॉलर का लोन देने का ऐलान किया.

आईएमएफ ने पाक से मांगे जवाब (Pakistan Economic Crisis)

IMF की प्रतिनिधि इस्‍तेर पेरेज की ओर से कहा गया कि उनकी ओर से पाकिस्‍तानी हुकूमत की सब्सिडी योजना के संचालन, खर्च, लक्ष्‍य और धोखाधड़ी से बचने के लिए उपायों को जानने की कोशिश की जा रही है. वहीं, पाकिस्‍तान हुकूमत का कहना है कि वह गरीबों को राहत दे रही है.

उधर, कुछ ही दिन पहले पाकिस्‍तानी हुकूमत को IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलिना जियोर्जिवा (IMF MD Kristalina Georgieva) ने खरी-खोटी सुनाई थी. जियोर्जिवा ने कहा था कि वे (पाकिस्‍तानी हुकूमत) एक मुल्क की तरह बर्ताव करना सीखें, ऐसे नहीं चलेगा कि पैसा हमसे लेकर अमीरों को फायदा पहुंचाए. इसके अलावा IMF ने यह तक कह दिया था कि पाकिस्‍तान हुकूमत 6 अरब डॉलर का लोन अपने दोस्‍त मुल्‍कों से ले. 

पाक पर 100 अरब डॉलर से ज्‍यादा विदेशी कर्ज

ट्रिब्‍यून की खबर में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि IMF ने शहबाज शरीफ की हुकूमत की पेट्रोल योजना को फाइनेंस करने के स्रोत के बारे में भी सवाल किया है. IMF ने यह भी जानना चाहा है कि उनकी हुकूमत सब्सिडी योजना को किस तरह से लागू करेगी. IMF के अधिकारियों को इस बात पर ऐतराज है कि एक ओर पाकिस्‍तानी हुकूमत दुनिया के देशों से कर्ज मांग रही है, वहीं उसके लिए जरूरी कदम नहीं उठाए जा रहे. मसलन, पाकिस्‍तानी हुकूमत ने अपनी फ्यूल सब्सिडी के बारे में IMF से कोई सलाह नहीं ली. यह सब भी तब किया, जबकि पाकिस्‍तान पर 100 अरब डॉलर से ज्‍यादा का विदेशी कर्ज है.

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