अपनी गाड़ी के टायर्स को ऐसे रखें मेंटेन, ये टिप्स टायर्स की लाइफ बढ़ा देंगे
गाड़ियों में टायर्स की रोल काफी अहम होता है। अगर एक भी टायर बिगड़ जाए तो गाड़ी तक आगे नहीं बढ़ सकती। सवारी के साथ पूरी कार का वजन टायर्स पर ही होता है। इसलिए गाड़ी की देखभाल के साथ टायर्स की भी देखभाल बेहद जरूरी होती है। टायर्स की कंडीशन सही हो तो दुर्घटना की संभावना को काफी हद तक टाला जा सकता है।
आए जानते हैं कि आप अपनी गाड़ी के टायर्स की मेंटेनेंस कैसे कर सकते हैं।
अपनी गाड़ी के टायर्स को समझना जरूरी
टू-व्हीलर और फोर व्हीलर के टायर्स अलग-अलग प्रकार के होते हैं, टायर्स की जानकारी उसके साइड में छपी होती है। जैसे अगर किसी टायर के आगे P लिखा हो तो इसका मतलब टायर पैसेंजर कार का है। अगर कार के टायर पर यह नंबर P212/55R15 90S छपा होता है जोकि यह दर्शाता है कि टायर की चौड़ाई 212mm है, 55 का मतलब रेशियो और R का मतलब रेडियल होता है जबकि 15 रिम का साइज बताता है। 90 का मतलब लोड होता है, कार टायर पर कितना बोझ उठा सकती है, S टायर की स्पीड रेटिंग को बताता है। हर टायर के गति की अधिकतम सीमा होती है। इसके लिए A1 से लेकर Y तक की रेटिंग दी जाती है। A1 रेटिंग वाले टायर 50 kmph और Y रेटिंग वाले टायर 300kmph की मैक्सिमम रफ्तार पर चल सकते हैं।
ट्यूब और ट्यूबलेस टायर
टायर्स दो प्रकार के होते हैं, ट्यूब वाले और ट्यूबलेस टायर। आजकल ट्यूबलेस टायर काफी पसंद किये जा रहे हैं।
ट्यूब और टायर के बीच होने वाले फ्रिक्शन की वजह से ट्यूब वाले टायर जल्दी गर्म हो जाता है और इसीलिए ऐसे टायर पंक्चर भी जल्दी होते हैं। यही वजह है कि ट्यूब वाले टायर्स की डिमांड कम होने लगी है। ट्यूबलेस टायर कई फायदे होते हैं, ट्यूबलेस टायर से सड़क पर बेहतर ग्रिप और कंट्रोल मिलता है। अगर सफर के दौरान कभी टायर पंक्चर भी हो जाए तो इसमें से हवा तुरंत नहीं निकलती, इसमे एक्सीडेंट का रिस्क भी कम होता है।
टायर कब बदलना चाहिये
हर टायर की अलग अलग कपैसिटी होती है, अमूमन 40,000 किलोमीटर चलने के बाद टायर्स बदल लेना चाहिए।
बाइक के लिए यह 20000 किलोमीटर हो सकता है, लेकिन अगर टायर की कंडीशन बेहतर हो तो इन्हें थोड़ा और चलाया जा सकता है।
मेंटेनेंस
कार हो या बाइक हफ्ते में एक बार टायर्स में हवा का प्रेशर जरूर चेक करना चाहिए। टायर्स में हवा उतनी ही रखें जितनी कंपनी द्वारा बतायी गयी है। कम या ज्यादा हवा भरने से टायर्स के साथ गाड़ी को भी नुकसान होता है। इससे माइलेज पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा हर 5000 किलोमीटर के बाद व्हील अलाइनमेंट चेक कराते रहना चाहिए। टायर साफ करने के लिए सिर्फ सादे पानी का उपयोग करना बेहतर होता है।
ओवरलोडिंग टायर्स की लाइफ कम करता है
ओवरलोडिंग करने से हमेशा बचना चाहिए, गाड़ी में उतना ही सामान रखना चाइये जितना वाहन की कैपसिटी है। क्योंकि ज्यादा लोड करने से गाड़ी की परफॉरमेंस और टायर्स पर बुरा असर पड़ता है और ऐसा करना यात्रा की दृष्टिकोण से भी सुरक्षित नहीं माना जाता।
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