केंद्र सरकार ने किया “खरीफ” की फसल पर बड़ा ऐलान, उठाया ये महत्वपूर्ण कदम
केंद्र सरकार कृषि से जुड़े मामलों को संजीदा तरीके से हैंडल कर रही हैं, तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने के बाद से मोदी सरकार अब संभल कर कदम रखना चाहती हैं। केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों के लिए यूरिया और डीएपी की कमी ना होने का फैसला किया हैं।किसानों को इस साल खरीफ की फसल के लिए यूरिया और डीएपी की कोई कमी न हो, इसके लिए केंद्र अपनी तैयारी अभी से करनी शुरू कर दी हैं।
सरकार ने किसानों को उर्वरकों की पर्याप्त और तय समय में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यूरिया और डीएपी का उम्मीद से ज्यादा शुरुआत में भंडार रखने का लक्ष्य रखा हैं। समाचार एजेन्सी पीटीआई की खबर के अनुसार, सरकार के एक बड़े अधिकारी ने बुधवार को कहा कि खरीफ फसलों के लिए सरकार ने उर्वरक उपलब्धता को लेकर एडवांस तैयारियां शुरू कर दी हैं। खरीफ फसलों की बुवाई मॉनसूनी बारिश शुरू होने के साथ होती है
पीटीआई की खबर के अनुसार सरकार के इस अधिकारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से उर्वरक और दूसरा कच्चा माल जुटाने से यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का उम्मीद से ज्यादा शुरुआती भंडार रखने से हमें इस क़िल्लत से बचने में मदद मिलेगी। देश में खरीफ फसलों की बुवाई मॉनसूनी बारिश शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाती हैं। लेकिन, इन फसलों के लिए उर्वरक और दूसरे पौष्टिक तत्वों की जरूरत अप्रैल और सितंबर के बीच ही पड़ती हैं।
सरकार के इस अधिकारी ने कहा कि खरीफ सत्र 2022 यानि इस साल में डीएपी का शुरुआती भंडार क़रीब 25 लाख टन रहने का अनुमान हैं। जो खरीफ सत्र साल 2021 के केवल 14.5 लाख टन तक का रहा था। यूरिया के मामले में शुरू में भंडार 60 लाख टन रहने की उम्मीद हैं, जो पिछले साल 2021 में 50 लाख टन तक का रहा था। सरकार के अधिकारी ने आगे कहा कि भारत यूरिया और मिट्टी को और सक्षम बनाने वाले तत्वों की सप्लाई सुधारने के लिए कई देशों के साथ सम्पर्क में है और बातचीत का दौर भी चल रहा हैं।
इसके लिए दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों की संभावना टटोल रहा हैं।सरकार के इस अधिकारी के अनुसार, कोरोना महामारी और चीन की तरफ से लगाई पाबंदियों की वजह से उर्वरकों की आपूर्ति पर असर पड़ा हैं जिसने इसके दाम बढ़ा दिए हैं। इस स्थिति में इस बार भारत पहले से ही अपनी तैयारियों में लगा हुआ हैं।
भारत अपनी जरूरत का 45 प्रतिशत डीएपी और कुछ यूरिया का आयात चीन से करता रहा हैं। यूरिया को छोड़कर डीएपी और दूसरी फॉस्फेट उर्वरकों की कीमतें निजी कंपनियां तय करती हैं। कच्चे माल की वैश्विक कीमतें बढ़ने से घरेलू स्तर पर भी डीएपी के दाम बढ़े हैं। जिसके तहत केंद्र सरकार किसानो पर किसी तरह का कोई बोझ ना आए इसलिए पहले से भारत सरकार तैयारी में लगी हुई हैं।
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