Gratuity Rules: कंपनी नही दे रही ग्रेच्युटी तो मत हो निराश, इन नियमों की मदद से ऐसे पाएं अपनी मेहनत की कमाई
Gratuity Rules: ग्रेच्युटी से जुड़े नियम के मुताबिक किसी भी संस्थान में 5 साल पूरे होने पर ग्रेच्युटी मिलती है. ग्रेच्युटी (Gratuity) की गणना उस महीने के आपकी बैसिल सैलरी के आधार पर की जाती है, जिस दिन आप 5 साल पूरे होने पर कंपनी छोड़ते हैं.आप संस्थान के साथ जितना ज्यादा वक्त तक काम करते हैं उसी के हिसाब से तय होता है कि आपको कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी.
एकमुश्त मिलने वाली रकम कर्मचारियों के भविष्य के लिए काफी मददगार साबित होती है .ऐसे में अगर कंपनी आपकी मेहनत से कमाई गई ग्रेच्युटी को देने से ही आनाकानी करती है तो निराशा आनी स्वाभाविक है. लेकिन टेंशन न लें अगर आपकी कंपनी आपके साथ ऐसा कर रही है तो हम आपको बता रहे हैं वो तरीके जिससे आप इस रकम को पूरा हासिल कर सकेंगे.
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इस फॉर्मूले से तय होती है Gratuity
ग्रेच्युटी की रकम तय करने का एक निश्चित फॉर्मूला होता है. इस फॉर्मूले से आप भी ये जान सकते हैं कि आपको कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी. फॉर्मूला है - (अंतिम सैलरी) x (कंपनी में कितने साल काम किया) x (15/26). अंतिम सैलरी से मतलब, आपकी पिछले 10 महीने की सैलरी के औसत से है. इस सैलरी में मूल वेतन, महंगाई भत्ता और कमीशन को शामिल किया जाता है. महीने में रविवार के 4 दिन वीक ऑफ होने के कारण 26 दिनों को गिना जाता है और 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन होता है.
क्या है Gratuity Rules?
लोकसभा में दाखिल ड्राफ्ट कॉपी में दी गई जानकारी के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी एक साल तक किसी जगह काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होगा. सरकार ने यह व्यवस्था फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों यानी अनुबंध पर काम करने वालों के लिए की है।
यदि कोई व्यक्ति किसी कंपनी के साथ एक वर्ष की निश्चित अवधि के लिए अनुबंध पर काम करता है, तो भी उसे ग्रेच्युटी (Gratuity) मिलेगी. संविदा कर्मी को अब नियमित कर्मचारी की तरह सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया जा रहा है. इसका लाभ संविदा कर्मचारियों के अलावा मौसमी प्रतिष्ठानों में काम करने वालों को भी मिलेगा.
कंपनी के आनाकानी करने पर करें ये काम
अगर समय बीतने के बाद भी आपको ग्रेच्युटी का पैसा नही मिलता तो अपनी कंपनी को इसकी जानकारी दें देरी की वजह जाने और प्रोसेस तेज करने के लिए कहें. अगर उनका जवाब आपको संतुष्ट नहीं कर रहा तो आप पहले अपनी कंपनी को एक लीगल नोटिस भेजें. अगर नोटिस भेजे जाने के बाद भी आपको पैसा नहीं मिला है तो अपने जिले के लेबर कमिश्नर ऑफिस में कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएं.
ध्यान रखें कि पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने का हक देता है. यानि साफ है कि अगर आप ने नियम पूरे किए हैं तो आपको ग्रेच्युटी पाने से कोई रोक नहीं सकता.आपकी शिकायत पर ऑफिस कंपनी को भुगतान का निर्देश जारी करेगा. निर्देश जारी करने के 30 दिन के अंदर कंपनी को ग्रेच्युटी की रकम जारी करनी होगी.
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