New Law GST: जालसाजों की अब खैर नहीं! GST के नए नियम से ब्याज सहित लौटाना होगा पैसा
New Law GST: भारत में अब सामान या सेवा संबंधी व्यवसायों पर GST टैक्स लागू हो चुका है। 1 जुलाई 2017 से पूरे देश में GST कानून लागू हो चुका है। पहले लगने वाले सभी टैक्सों को हटाकर, उनकी जगह, सिर्फ एक टैक्स GST को लागू किया गया है। अब परिषद एक नया नियम लाने की तैयारी में है। इस कदम का उद्देश्य फर्जी चालान के मामलों पर अंकुश लगाना है. जालसाज आमतौर पर सामान या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना गलत तरीके से आईटीसी का लाभ उठाने के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैंजानते हैं क्या है नया नियम।
GST के नए नियम को जानें
इस नए नियम के तहत यदि किसी कंपनी या कारोबारी ने अधिक इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) का दावा किया है, तो उसे इसकी वजह बतानी होगी या अतिरिक्त राशि सरकारी खजाने में जमा करानी होगी। केंद्र और राज्यों के कर अधिकारियों वाली विधि समिति का विचार है कि सेल्फ जेनरेटेड आईटीसी और जीएसटीआर-3बी रिटर्न में दायर आईटीसी में अगर बहुत अधिक अंतर मिलता है तो जीएसटी के तहत पंजीकृत शख्स को इसकी सूचना दी जाएगी। साथ ही उससे पूछा जाएगा कि उसके द्वारा किया गया दावा सेल्फ जेनरेटेड आईटीसी से ज्यादा क्यों है। अगर वह सही जवाब नहीं दे पाता तो उसे अतिरिक्त राशि ब्याज सहित लौटानी होगी।
किन्हें करना होगा भुगतान
ऐसे मामलों में जहां जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी में घोषित टैक्स देनदारी में अंतर 25 लाख रुपये या 20 प्रतिशत की तय सीमा से अधिक है। वहां कारोबारियों को इसकी वजह बताने या शेष कर को जमा कराने के लिए कहा जाएगा।जीएसटी नेटवर्क जीएसटीआर-2बी फॉर्म तैयार करता है, जो एक सेल्फ जेनेरेटिंग डॉक्यूमेंट है। इससे आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जमा कराए गए प्रत्येक दस्तावेज में आईटीसी की उपलब्धता या अनुपलब्धता का पता चलता है।
11 जुलाई को होगी 50वीं बैठक
जीएसटी परिषद की 11 जुलाई को होने वाली 50वीं बैठक में समिति की सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। अभी कारोबारी अपने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा किए गए कर के भुगतान का इस्तेमाल जीएसटीआर-3बी में अपनी जीएसटी देनदारी निपटाने के लिए करते हैं।