ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकों को आरबीआई (RBI) का निर्देश, भुगतान के लिए OTP के साथ लेनी होगी ये जानकारी
जिस तरह से टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है, उसी तरह पूरी दुनिया में साइबर फ्रॉड के मामले बढ़ते जा रहे हैं। भारत में डेबिट और क्रेडिट कार्ड से होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंक और पेमेंट गेटवे कंपनियां ऑनलाइन भुगतान के तरीके में बदलाव करने जा रही हैं। अब ऑनलाइन पेमेंट के लिए न सिर्फ ओटीपी की जरूरत होगी बल्कि इसके लिए कार्ड का पूरा नंबर भरना होगा। उसके बाद ही भुगतान किया जा सकेगा। अभी तक ऑनलाइन पेमेंट कार्ड के पीछे ओटीपी और सीवीवी नंबर से ही होता था, लेकिन जनवरी 2022 से इस नियम में बदलाव किया जा सकता है।
रिजर्व बैंक ने बैंकों और पेमेंट गेटवे कंपनियों को डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिए बढ़ती धोखाधड़ी को रोकने के लिए सुरक्षा को मजबूत करने का निर्देश दिया है। इसके बाद पेमेंट गेटवे कंपनी न तो ग्राहक का कार्ड नंबर सेव कर पाएगी और न ही सीवीवी नंबर का रिकॉर्ड रख पाएगी। आरबीआई की ओर से ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ऑनलाइन पेमेंट के बाद ग्राहकों की सारी जानकारी कंपनियों के पास सेव हो जाती है। जिससे साइबर बौखला जाता है। यह प्रणाली आरबीआई की सीधी निगरानी में नहीं आती है, इसलिए धोखाधड़ी का खतरा हमेशा बना रहता है।
तीन साल में दोगुने हुए ऑनलाइन फ्रॉड
आरबीआई और इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम के आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ सालों में साइबर फ्रॉड के मामलों में इजाफा हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में 1.60 लाख साइबर फ्रॉड की रिपोर्ट दर्ज की गई। 2019 में यह संख्या 2.5 लाख तक पहुंच गई, जबकि 2020 में साइबर फ्रॉड के मामलों की संख्या 3 लाख के करीब पहुंच गई। इसके चलते आरबीआई ने बैंकों और पेमेंट गेटवे कंपनियों को डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जालसाजी रोकने के निर्देश दिए हैं।
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