हर भारतीय पर अब औसतन ₹4.8 लाख का कर्ज, दो साल में ₹90 हजार की बढ़ोतरी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की जून 2025 में जारी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रति व्यक्ति कर्ज मार्च 2023 की तुलना में ₹90,000 बढ़ गया है। 2023 में यह ₹3.9 लाख था, जबकि अब यह ₹4.8 लाख तक पहुंच चुका है। बीते दो वर्षों में इसमें 23% की तेजी देखी गई है।
कौन-सा कर्ज सबसे ज्यादा बढ़ा?
इसमें सबसे तेज वृद्धि पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसी नॉन-हाउसिंग श्रेणियों में हुई है, जिनका योगदान कुल घरेलू कर्ज का 54.9% है। ये कर्ज अब लोगों की खर्च करने योग्य आय के 25.7% हिस्से तक पहुंच गया है।
क्या GDP के अनुपात में कर्ज चिंताजनक है?
भारत का कुल घरेलू कर्ज GDP का 42% है, जो अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं (46.6%) से कम है। अधिकांश उधारकर्ता क्रेडिट रेटिंग में बेहतर स्थिति में हैं और डिफॉल्ट का खतरा कम है। RBI ने फिलहाल किसी बड़े आर्थिक खतरे की आशंका से इनकार किया है।
माइक्रोफाइनेंस सेक्टर पर असर
माइक्रोफाइनेंस में लोन लेने वालों की जिम्मेदारी में 11.7% की गिरावट जरूर आई है, लेकिन 2025 की दूसरी छमाही में स्ट्रेस्ड असेट्स की संख्या बढ़ी है। इन कंपनियों द्वारा वसूली जा रही उच्च ब्याज दरें उधारकर्ताओं के लिए बोझ साबित हो रही हैं।
भारत का विदेशी कर्ज
मार्च 2025 तक भारत पर कुल $736.3 बिलियन का बाहरी कर्ज था, जो GDP का 19.1% है। इसमें अमेरिका डॉलर आधारित कर्ज सबसे ज्यादा (54.2%) है। सबसे बड़ा हिस्सा कॉरपोरेट्स और बैंकिंग सेक्टर का है।
आम जनता पर असर
लोगों के लिए लोन लेना आसान जरूर हो गया है, लेकिन चुकाने की क्षमता पर ध्यान देना जरूरी है। RBI की मौद्रिक नीतियों से ब्याज दरों में राहत मिल सकती है, मगर माइक्रोफाइनेंस जैसे लोन में सावधानी बरतनी चाहिए।
भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति
IMF के मुताबिक, भारत की GDP अब $4.3 ट्रिलियन तक पहुंच गई है, जो 2015 की तुलना में दोगुनी है। 2025 के अंत तक भारत जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने भी इस संभावना की पुष्टि की है।