Indian Railway : भारतीय रेल के बारे में कहा जाता है कि वो कभी विपत्ति काल में भी नहीं रुकती. लेकिन हमने देखा कि कोरोना काल में कैसे रेल के पहिए थम गए थे. आज फिर वो वक्त करीब आ पहुंचा है कि शायद रेल के पहिए थम जाएं. आपको बता दें कि 31 मई को Indian Railway के पूरे भारत के सभी स्टेशन मास्टरों (Station Master) ने सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है.
स्टेशन मास्टरों की मांग है कि उनके संवर्ग में खाली पदों को जल्द भरा जाए. स्टेशन मास्टरों को अभी 8 घंटे की जगह 12 घंटे नौकरी करनी पड़ रही है. जब से स्टेशन मास्टरों ने ये एलान किया है तबसे केंद्र सरकार और रेलवे प्रशासन के हाथ पांव फूल गए हैं.
स्टेशन मास्टरों की मांग
ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (India Station Masters Association) के अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे के अनुसार स्टेशन मास्टरों की मांग है कि हमारे द्वारा रेलवे बोर्ड के सीईओ को एक सूची भेजी गई है.उसमें प्रमुख मांगे यह हैं.
- रेलवे के खाली पदों को जल्द भरा जाए.
- रेल कर्मचारियों को रात्रि ड्यूटी भत्ता दिया जाए.
- एमएसीपी का लाभ 16.02.2018 के बजाय 01.01.2016 से प्रदान किया जाए.
- स्टेशन मास्टरों को तनाव से मुक्त किया जाए.
- रेलवे का निजीकरण को रोका जाएं.
- साथ ही नई पेंशन स्कीम को बंद करके पुरानी पेंशन स्कीम को शुरू किया जाए.
रेलवे बोर्ड को दिया नोटिस
देश के करीब 35 हजार स्टेशन मास्टरों (Station Master) ने इस फैसले के बाद रेलवे बोर्ड को एक नोटिस करते हुए ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (India Station Masters Association) के अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे ने कहा है कि हमारे पास सामूहिक अवकाश पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं है. देशभर में इस वक्त करीब 6 हजार स्टेशन मास्टररों की कमी है. लेकिन रेलवे इन पदों पर भर्ती नहीं कर रहा है. जिस दिन स्टेशन मास्टर का अवकास होता है उस दिन हमें दूसरे स्टेशन से कर्मचारी को बुलाना पड़ता है.
इसलिए हमारी मांगों को जल्द पूरा किया जाए. नहीं तो हम सार्वजनिक अवकाश पर जरूर जाएंगे.
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