क्या है नॉन-वेज दूध? क्यों मचा ट्रेड डील में बवाल, अमेरिका को मिला झटका
भारत और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील में डेयरी सेक्टर अब सबसे संवेदनशील मुद्दों में से एक बन चुका है। भारत सरकार ने अमेरिका से स्पष्ट कहा है कि ऐसे किसी भी दूध उत्पाद की अनुमति नहीं दी जाएगी, जो "नॉन-वेज" हो — यानी जिन गायों को पशु-आधारित आहार दिया गया हो।
भारत में डेयरी केवल एक उद्योग नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों से भी जुड़ी हुई है। दूध और घी धार्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। ऐसे में सरकार ने अमेरिकी डेयरी उत्पादों के लिए एक स्पष्ट शर्त रखी है — वेटरनरी सर्टिफिकेशन यह साबित करे कि गायों को कोई पशु-आधारित आहार नहीं दिया गया।
क्या होता है नॉन-वेज दूध?
नॉन-वेज दूध उस गाय से प्राप्त होता है जिसे मछली, सूअर, घोड़ा, या अन्य जानवरों का मांस और खून खिलाया गया हो। अमेरिका में ऐसा चारा आम बात है, जहां मवेशियों को पशु प्रोटीन तेजी से वजन बढ़ाने के लिए खिलाया जाता है।
अमेरिका की आपत्ति
अमेरिका ने भारत की मांगों को "अनावश्यक व्यापार बाधा" कहा है। उनका तर्क है कि भारत ने नवंबर 2024 में जो नया डेयरी सर्टिफिकेशन जारी किया था, उसमें इस तरह की कोई स्पष्ट चिंता नहीं जताई गई थी।
भारत की चिंता व असर
भारत के डेयरी सेक्टर से 8 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार और 1.03 लाख करोड़ रुपए सालाना की आर्थिक स्थिरता जुड़ी हुई है। यदि अमेरिकी दूध उत्पाद सस्ते दामों पर भारत में प्रवेश करते हैं तो देश के छोटे किसानों और डेयरी व्यवसायियों पर बड़ा आर्थिक संकट आ सकता है।
SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत अमेरिकी डेयरी उत्पादों के लिए अपने दरवाज़े खोलता है तो देश को हर साल 1.03 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।