Petrol-Diesel: Petrol Dealer और लोगों ने मार्च में क्यों करवाए टैंक फुल ? जाने वजह
Petrol-Diesel: पिछले साल दिवाली से ही पेट्रोल- डीज़ल (Petrol-Diesel) के दामों में लगातार स्थिरता बनी हुई है. दरअसल जब केंद्र और राज्य सरकारों ने पेट्रोल के दाम कम करे थे, तो कुछ लोगों का कहना था की चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए यह फैसला किया गया है. अब ऐसे जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके है.
अब लोगों को यह लग रहा है कि पेट्रोल के दामों में एक बार फिर तेज़ी आ सकती है. लेकिन परिणाम के सात दिन बाद भी पेट्रोल के दाम स्थिर बने हुए है. लोगों का यह डर वाजिब भी है, क्योंकि यूक्रेन और रूस में युद्ध चल रहा है. जिसकी वजह से कच्चे तेलों के दाम आसमान छू सकते है. भारत 85 प्रतिशत का तेल दूसरे देशों से इंपोर्ट करता है.
मार्च के पहले 15 दिनो में क्यों हुए Tank Full ?
मार्च महीने के पहले 15 दिनो में देश में पेट्रोल, डीजल की बिक्री महामारी-पूर्व के स्तर को पार कर गई है. दाम बढ़ने की आशंका से उपभोक्ताओं (Consumer) और डीलर (Dealer) ने अपने टैंक पूरी तरह से फ़ुल करवा लिए है. कुछ लोगों का ऐसा कहना था कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी.
पेट्रोल पंप और डीलर ने भी करवाए Tank Full ?
इसी अफ़वाह के चलते उपभोक्ताओं के साथ-साथ पेट्रोल पंप और पेट्रोल डीलरों ने भी अपने टैंक और पेट्रोल पंप पूरी तरह फ़ुल करवाए है. आपको बता दे की इसके पीछे की वजह केवल और केवल मुनाफा कामना है. अगर पेट्रोल एक दाम बढ़ते है, तो इस जमाखोरी के बाद पेट्रोल पम्प के मालिकों को सस्ता तेल महंगे दामों में बेचने का मौक़ा मिल जाएगा.
जमाखोरी करने से पेट्रोल-डीजल की बिक्री में बढ़ोतरी
आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 90 प्रतिशत बाजार पर नियंत्रण रखने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों की पेट्रोल की बिक्री एक से 15 मार्च के बीच 12.3 लाख टन रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 18 फीसदी और 2019 की तुलना में 24.4 फीसदी ज्यादा है. वहीं सबसे ज्यादा खपत वाले ईंधन डीजल की सालाना आधार पर बिक्री 23.7 फीसदी की वृद्धि के साथ 35.3 लाख टन और 2019 के मुकाबले 17.3 फीसदी ज्यादा रही.
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