हर घर में लगेंगे प्रीपेड बिजली मीटर! बल्व जलाने के लिए मोबाइल की तरह करना होगा रिचार्ज, जानें क्या है योजना
बिजली (Light) का मीटर आज के समय में हर घर में लगा है. देश में अभी लोग पहले बिजली का इस्तेमाल करते हैं फिर उसके बिल के हिसाब से रुपये जमा करा देते हैं. लेकिन शायद कुछ सालों बाद इस नियम में परिवर्तिन हो सकता है. क्योंकि अब घर में प्रीपेड स्मार्ट इलेक्ट्रिक बिजली मीटर (Prepaid Smart Electric Electricity Meter) लगाने की योजना बन गई है. इस मीटर के लगने के बाद से सभी को मोबाइल की तरह रिचार्ज कराकर बिजली का बल्ब जलाना पड़ेगा. आइए बताते हैं कि इस प्रीपेड मीटर के फायदे और नुकसान...
अभी तक हम पहले बिजली का इस्तेमाल करने के बाद बिल जमा करते हैं. लेकिन इस मीटर के लगने के बाद आपको पहले पैसा देकर बिजली का रिचार्ज करना होगा. उसमें जितने दिन की बिजली आपको मिलगी उसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं. फिर रिचार्ज खत्म होने से पहले विभाग की तरफ से आपको इसके बारे में जानकारी देकर बताया जाएगा. सीधे तौर आप ये मान सकते हैं कि इसका उपयोग मोबाइल के रिचार्ज की तरह ही किया जाएगा. ये रिचार्ज या तो ऑटोमैटिक या फिर मैन्युली होगा.
प्रीपेड बिजली मीटर के ये हैं फायदें और नुकसान
सरकार को इस प्रीपेड स्मार्ट इलेक्ट्रिक बिजली मीटर के लगने का एक फायदा ये होगा कि वह बिजली चोरी का रोक सकेगी. साथ ही बिजली का अनावश्यक रूप से उपयोग बंद हो जाएगा. मतलब ये कह सकते हैं कि बिजली की बर्बादी पर काफी हद तक रोक लगेगी. वहींं प्री-पेड स्मार्ट मीटर से सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इसकी कीमत बाकी मीटर की तुलना में 4 से 5 गुना तक महंगे ज्यादा होती है.
आपको बता दें कि दिल्ली में रहने वाले ग्राहक ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीकों से मीटर का टॉपअप रिचार्ज करा सकते हैं, बिल्कुल उसी तरह से जिस तरह से कोई मोबाइल चार्ज होता है. दिल्ली में व्यवसायिक संगठन पहले से ही इलेक्ट्रिक स्मार्ट मीटर का प्रयोग कर रहे हैं.
ये है सरकार की योजना
सरकार की तरफ से पूरे देश में सौभाग्य योजना के तहत बिजली का कनेक्शन देने की तैयारी की गई है. सरकार ने 21 मार्च 2021 को संसद में इस प्रीपेड बिजली मीटर के बारे में जानकारी दे दी है. सरकार ने कहा था कि सभी राज्यों ने 100 फीसदी तक का विद्युतीकरण करने के बारे में बताया है. मार्च 2025 तक सभी इलाकों में प्री-पेड मीटर लगा की तैयारी है. पहले लक्ष्य उन इलाकों के लिए तय किया गया है जहां पर हायर ट्रांसमिशन का घाटा ज्यादा है.
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