आरबीआई ने रेपो दर में 50 आधार अंकों की कटौती की घोषणा, लोन की ब्याज दरों में कमी आएगी

 
आरबीआई ने रेपो दर में 50 आधार अंकों की कटौती की घोषणा, लोन की ब्याज दरों में कमी आएगी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को मुंबई से मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए बताया कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने तरलता समायोजन सुविधा (LAF) के तहत नीति रेपो दर को 50 आधार अंकों से घटाकर 5.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।

यह कदम लोन लेने वालों के लिए राहत लेकर आया है, क्योंकि इससे होम, पर्सनल और ऑटो लोन की ब्याज दरों में कमी आएगी, जिससे लोन की ईएमआई घटेगी या लोन की अवधि कम हो सकती है।

गवर्नर की घोषणा:

गवर्नर मल्होत्रा ने कहा, "एमपीसी द्वारा अनुशंसित 50 आधार अंकों की कटौती 5.5 प्रतिशत तक की गई है, और यह तत्काल प्रभाव से लागू होगी।"

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इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यह निर्णय मुद्रास्फीति में नरमी आने के कारण लिया गया है और निकट अवधि एवं मध्यम अवधि के संरेखण आरबीआई की सीमा के भीतर बने हुए हैं।

सिर्फ रेपो दर में नहीं, बल्कि अन्य दरों में भी बदलाव:

रेपो दर में कटौती के बाद, स्थायी जमा सुविधा दर (SDF) को 5.25 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर तथा बैंक दर को 5.75 प्रतिशत पर समायोजित किया जाएगा।

मुद्रास्फीति पर प्रभाव:

गवर्नर ने यह भी कहा कि इस वित्तीय वर्ष में मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण को नीचे की ओर संशोधित किया गया है। वैश्विक स्थिति नाजुक बनी हुई है, और कई बहुपक्षीय एजेंसियों ने वैश्विक विकास की भविष्यवाणी को नकारात्मक रूप से संशोधित किया है।

गवर्नर ने यह भी स्पष्ट किया कि मौद्रिक नीति समिति की बैठक 4, 5 और 6 जून को हुई, जिसमें व्यापक आर्थिक और वित्तीय विकास के विस्तार से मूल्यांकन के बाद यह फैसला लिया गया।

भारत की स्थिति:

भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 3.16 प्रतिशत रह गई, जो मार्च में 3.34 प्रतिशत थी। इस गिरावट ने इसे रिज़र्व बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे ला दिया है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्रीय बैंक अब ब्याज दरों में नरमी ला सकता है।

गवर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी हुई है, महंगाई में सुधार हो रहा है और घरेलू मांग में वृद्धि हो रही है। यह भारत को वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर बना रहा है।

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