Russia-Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन की जंग के बीच भारत निभाएगा अन्नपूर्णा की भूमिका, करेगा Wheat Export ?
Russia-Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह से दुनियाभर की मार्केट में मंदी आती जा रही हैं। वैसे तो भारत के बाज़ारों और आर्थिक मोर्चे पर सभी अर्थशास्त्रीयों का कहना हैं की आने वाले समय में दुनिया में एक बार फिर मंदी का दौर चल सकता हैं, अगर यह युद्ध समय रहते नही रोका गया।
तो इसमें Russia VS Ukraine एक अलावा किसी अन्य देश की भी एंट्री हुई तो निश्चित ही यह दुनिया के बाज़ार को प्रभावित करेगा। लेकिन भारत के लिए इस युद्ध के संकट में आपदा को अवसर में बदलने योजना मिली हैं। जी हां वैसे तो युद्ध से सभी सेक्टरो पर प्रभाव पड़ेगा, परंतु एक सेक्टर ऐसा हैं जो इस संकट की घड़ी में लाभान्वित हो सकता हैं।
भारत करेगा गेहूं का निर्यात ?
रूस और यूक्रेन के युद्ध के दौरान पैदा हुए संकट में भारत को दुनिया के बाजारों को अधिक गेहूं का निर्यात करने का शानदार अवसर दे सकता हैं। घरेलू निर्यातकों को इस अवसर का लाभ भी उठाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार यह जानकारी दी गई हैं की भारत के केंद्रीय पूल में 2.42 करोड़ टन अनाज है, जो बफर और रणनीतिक जरूरतों से दोगुना है।
भारत क्यों कर सकता है अधिक निर्यात ?
तनाव भरे इस समय में एक फ़ैक्टर यह भी हैं की तुर्की, रूसी और यूक्रेनी गेहूं पर भी एक बड़ा खर्च करने वाला देश हैं। साल 2019 में इन दोनों देशों से उसका आयात 74 प्रतिशत का रहा था। सूत्रों ने यह भी बताया की यूक्रेन का संकट भारत को अधिक मात्रा में Wheat Export करने का अवसर दे सकता है। हमारा केंद्रीय पूल 2.42 करोड़ टन का है, जो बफर और रणनीतिक जरूरतों से दोगुना हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक रूस हैं
दुनिया के गेहूं के निर्यात का एक-चौथाई से ज़्यादा का हिस्सा रूस और यूक्रेन से होता हैं। रूस गेहूं के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। जिसका अंतरराष्ट्रीय निर्यात में 18 प्रतिशत से भी ज़्यादा का योगदान हैं। साल 2019 में रूस और यूक्रेन ने मिलकर पूरी दुनिया को क़रीब 25.4 प्रतिशत यानी एक-चौथाई से अधिक का गेहूं का निर्यात किया था।
कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े
मिस्र, तुर्की और बांग्लादेश जैसे देशों ने रूस से आधे से भी ज्यादा मात्रा में गेहूं खरीदा था। मिस्र दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा आयातक हैं। यह अपनी 10 करोड़ से अधिक की आबादी को खिलाने के लिए हर साल चार अरब डॉलर से अधिक खर्च कर देता हैं। रूस और यूक्रेन, मिस्र की आयातित गेहूं की 70 प्रतिशत से अधिक की मांग को पूरा करता हैं।
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