Russia-Ukraine-Conflict : दोनो देशों के बीच चल रहे युद्ध की वजह से भारत की बिगड़ रही है Economy

 
Russia-Ukraine-Conflict : दोनो देशों के बीच चल रहे युद्ध की वजह से भारत की बिगड़ रही है Economy

Russia-Ukraine-Conflict : यूक्रेन और रूस में भीषण युद्ध चल रहा है, जबसे यह युद्ध शुरू हुआ है दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमराती दिख रही है। भारत भी इससे अछूता नही रहा है, कल प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली बीजेपी दफ़्तर में 4 राज्यों में जीत के अवसर पर बताया कि दोनो देशों के युद्ध की वजह से महंगाई बढ़ सकती है।

Indian Economy पर पड़ेगा असर ?

भारतीय अर्थव्यवस्था Indian Economy के सामने Inflation प्रमुख चिंता बन सकता है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण एनर्जी की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई। भारत जैसा देश जो अपनी ज़रूरत का 85 प्रतिशत तक का कच्चा तेल आयात करता है। उसके लिए यह नई और बड़ी चुनौती के स्वरूप सामने आ रहा है। बमुश्किल से हमारा देश कोरोना से उभर पाया है।

WhatsApp Group Join Now

भारत की GDP दर क्या रह सकती है ?

कच्चे तेल से भारत में खुदरा महंगाई बढ़ जाती है। भारत की इकोनॉमी के सामने नई समस्या पैदा हो सकती है। जिससे भारत के ग्रोथ को गहरा झटका लगा है। इस बीच अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए India GDP growth rate के अनुमान को घटाकर अब 7.9 प्रतिशत कर दिया है।

Russia-Ukraine-Conflict : दोनो देशों के बीच चल रहे युद्ध की वजह से भारत की बिगड़ रही है Economy
Source- PixaBay

मंदी की आशंका बढ़ गई है ?

ब्रोकरेज फर्म ने अपने एक बयान में बताया की, हमारा मत है कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव बाह्य जोखिमों को बढ़ा रहे हैं। जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था के लिए महंगाई-जनित मंदी की आशंका भी पैदा हो रही है। महंगाई-जनित मंदी का आशय ऐसी स्थिति से है जब उत्पादन या वृद्धि में गतिहीनता आ जाए।

महंगाई में आ सकता है उछाल ?

ग्लोबलडाटा Global Data ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की अर्थव्यवस्था Indian GDP में वृद्धि के अनुमान को 0.1 प्रतिशत को घटाकर 7.8 फीसदी कर दिया है। ग्लोबलडाटा ने यह भी कहा कि Russia-Ukraine-War से उत्पन्न भू-राजनीतिक जोखिम के कारण साल 2022 में भारत की महंगाई दर 5.5 फीसदी तक पहुंच जायेगी।

भारत के महंगाई होगी बड़ी चुनौती

उन्होंने यह भी कहा कि कच्चे तेल के दाम 85 से 90 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहते हैं। तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) अगले वित्त वर्ष में 5.4 प्रतिशत पर बना रहेगा। जोशी ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि जब वित्त वर्ष 2011-12 और 2013-14 के बीच कच्चे तेल की कीमत औसतन 110 डॉलर प्रति बैरल थी, तब महंगाई दहाई अंक में थी।

यह भी पढ़े: Russia-Ukraine-Conflict: यूक्रेन के प्रतिबंध से क्या दुनिया में बढ़ जाएंगी “गेहूं” की कीमतें ?

यह भी देखे: Kisbu Baloon Seller: सोशल मीडिया ने चमकाई किस्मत, गुब्बारे बेचने वाली लड़की रातो-रात बन गई स्टार

https://youtu.be/TPjesrBwfBg

Tags

Share this story