TDS: अगर कर लिया रिफंड क्लेम तो आज ही कर लें ये काम वरना आ जाएगा नोटीस
![TDS: अगर कर लिया रिफंड क्लेम तो आज ही कर लें ये काम वरना आ जाएगा नोटीस](https://hindi.thevocalnews.com/static/c1e/client/109282/migrated/f0f31fd9f9a927999f42855041b67cfb.jpg?width=730&height=420&resizemode=4)
TDS: कर में और विशेषकर टीडीएस में छूट पाने के लिए करदाताओं द्वारा लगाए गए डिडक्शन को एक बार फिर देखने-परखने और उससे संबंधी साक्ष्य जुटाकर रखने के लिए आयकर विभाग का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर करदाताओं को एक ईमेल नोटिस के माध्यम से अलर्ट कर रहा है। 31 जुलाई तक भरे गए आयकर रिटर्न की प्रोसेसिंग में विभाग द्वारा इस साल एआई के आधार पर यह पता लगाया जा रहा है कि जिन करदाताओं का टीडीएस कट रहा था, उनके द्वारा इस राशि को रिफंड के रूप में प्राप्त करने के लिए जो डिडक्शन क्लेम किए गए हैं, वे सही हैं या नहीं।
कितना कटता है TDS
TDS भारत सरकार द्वारा लिया जाने वाला एक टैक्स है। टैक्स जब काटा जाता है जब पैसा प्राप्तकर्ता के खाते में आता है या फिर ट्रांजेक्शन के समय,जो भी पहले हो। वेतन या जीवन बीमा पॉलिसी के भुगतान के मामले में, टैक्स ट्रांजेक्शन और भुगतान के समय काट लिया जाता है। उसके बाद टैक्स काटने वाला (व्यक्ति/कंपनी) इस TDS राशि को आयकर विभाग में जमा करता है। TDS के द्वारा, आपके टैक्स का कुछ हिस्सा आयकर विभाग को खुद ही भुगतान कर दिया जाता है। इसलिए, TDS को टैक्स की चोरी को कम करने का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है।टैक्स अक्सर 1% से 10% तक की सीमा के अंदर ही काटा होता है।
इन मामलों में आ रहे नोटिस
इंदौर सीए ब्रांच के पूर्व चेयरमैन सीए पंकज शाह ने बताया नोटिस ऐसे वेतनभोगी और छोटे व्यापारियों को भेजे जा रहे हैं, जिन्होंने पहली बार धारा 80जी के अंतर्गत छूट ली है। साथ ही ऐसे भी करदाताओं को नोटिस आ रहे हैं, जिन्होंने एलआईसी के तहत छूट ली है। घर के लोन पर ब्याज की छूट, किराए की छूट, अन्य किसी टैक्स फ्री निवेश के रूप में ली हुई छूट भी चिह्नित कर करदाता को नोटिस भेजा जा रहा है। ऐसे करदाता जिन्हें इस प्रकार के नोटिस आ रहे हैं, उन्हें सबसे पहले अपने द्वारा क्लेम किए गए सभी निवेशों के साक्ष्य जुटाकर रखना चाहिए। जवाब के लिए करदाता को 15 दिन का समय है। छूट से संबंधित साक्ष्य करदाता के पास नहीं है, तो भी रिटर्न को रिवाइज करना बेहतर होगा नहीं तो असेसमेंट में एडिशन होने पर अतिरिक्त ब्याज और 200% पेनल्टी लग सकती है। रिटर्न को रिवाइज कर पेनल्टी से बचा जा सकता है।