साल 2030 तक एशिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा यह देश- आईएचएस मार्केट का दावा
दुनिया के बड़े-बड़े पूरी जी-जान से अपनी अर्थव्यवस्था को डबल ट्रिपल करने में लगे हुए हैं। दुनिया पर पैसों का ऐसा खुमार चढ़ा हैं की अब ना चाहते हुए भी वह उतर नहीं सकता। कोरोना की वैश्विक महामारी के दबाव के बीच। में भी भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती से प्रदर्शन कर रही हैं और साल 2030 तक यह एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा।
आईएचएस मार्किट ने शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगी। आईएचएस मार्किट के अनुसार, अभी की बात करे तो भारत की जीडीपी अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन के बाद छठे स्थान पर क़ाबिज़ हैं।
अगर मूल्य के लिहाज से बात करें तो साल 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 27 खरब डॉलर रहा, जो साल 2030 तक बढ़कर 84 खरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है। यह तेजी जापान जैसे देश को भी पीछे छोड़ने के लिए पर्याप्त है, जिससे भारत साल 2030 तक एशिया-प्रशांत क्षेत्र की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा।
साल 2021 और 2022 में भारत की विकास दर 8.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया जा रहा हैं, जबकि पिछले वित्तवर्ष में 7.3 फीसदी गिरावट रही थी। हालांकि, चालू वित्तवर्ष की रफ्तार 2022-23 में भी जारी रहेगी और भारत 6.7 फीसदी विकास दर हासिल कर लेगा।
भारत की विकास दर बढ़ाने में ई-कॉमर्स क्षेत्र के साथ विनिर्माण, बुनियादी ढांचा और सेवा क्षेत्र की बड़ी भूमिका है। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि बढ़ते डिजिटलीकरण से आने वाले समय में ई-कॉमर्स बाजार और भी बड़ा हो जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक 1.1 अरब भारतीयों के पास इंटरनेट होगा, अभी 2020 में यह संख्या केवल 50 करोड़ थी।
आईएचएस मार्किट ने यह दावा किया है कि कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मजबूत और स्थिर दिख रहा है, जिससे अगले एक दशक तक यह सबसे तेज बढ़ती जीडीपी वाला देश भारत ही बना रहेगा। लंबी अवधि में भी भारत की तेज विकास दर बनाए रखने में बुनियादी ढांचा क्षेत्र और स्टार्टअप जैसे तकनीकी विकास की बड़ी भूमिका होगी।
भारत को अपनी आबादी के मध्य वर्ग से सबसे ज्यादा मदद मिलती है, जो उसकी प्रमुख उपभोक्ता ताकत है। आईएचएस मार्किट ने कहा है भारतीय उपभोक्ताओं का खर्च भी अगले एक दशक में दोगुना हो जाएगा। यह 2020 के 15 खरब डॉलर से बढ़कर 2030 में 30 खरब डॉलर पहुंच सकता है। बहरहाल अगर ऐसा हो जाता हैं भारत को विश्वगुरु बनने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा।
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