इसलिए इतना महंगा है कड़कनाथ मुर्गा, जानें इसका खूबी
कड़क यानि सख़्त कड़कनाथ मतलब जिस चीज़ में कम फ़ैट और ज़्यादा मांसपेशी होगी, वो चीज़ ज़्यादा सख़्त होगी. कड़कनाथ की भी यही ख़ूबी है. वैसे तो कड़कनाथ चिकन को कालीमासी मुर्गा भी कहा जाता है.
कड़कनाथ मुर्गा केवल भारत में ही पाया जाता है. इतना ही नहीं देश के कई होटलों में भी अब कड़कनाथ मुर्गे की डिमाड़ बढ़ गई है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस प्रजाति के मुर्गे में ऐसा क्या खास है? जिसकी कीमत आसमान छू लें.
खाने में होता है हेल्दी
बता दें कि कड़कनाथ मुर्गी जितनी ताकतवर होती है उससे कहीं ज्यादा इसका अंडा भी जानदार है. कड़कनाथ मुर्गी के अंडे में प्रोटीन ज्यादा होता है. कम कोलेस्ट्रॉल होने के चलते हॉर्ट पेशेंट भी बड़े आराम से खा लेते हैं.
वहीं कड़कनाथ मुर्गी के अंडे समेत इसके मीट में भी कई तरह के औषधीय गुण बताते हैं. फैट कम होने से हृदय और डायबिटीज रोगियों के लिए यह चिकन बहुत ही फायदेमंद माना जाता है.
साल में देते हैं 180 अंडे
कड़कनाथ मुर्गे का औसत वजन डेढ़ किलोग्राम तक होता है. डेढ़ किलो का होने में इसे 5 माह लगते हैं. साथ ही मुर्गी के पहली बार अंडा देने की आयु 23 से 24 सप्ताह की होती है. सालाना औसत उत्पादन 140-180 अंडे है. इसका अंडा हल्के भूरे रंग का होता है और वजन 42 से 45 ग्राम तक होता है.
इसलिए इतना महंगा है कड़कनाथ
कड़कनाथ में कई तरह के रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है, अपने बेहतरीन स्वाद के कारण यह काफी लोकप्रिय हो रहा है. इसमें अन्य नस्लों के (18 प्रतिशत) मुकाबले प्रोटीन 25 प्रतिशत तक होता है. साथ ही इसके मांस में वसा 0.73 से 1.05 प्रतिशत तक होता है,
जबकि अन्य नस्लों में 13 से 25 प्रतिशत तक पाया जाता है. वसा कम होने के कारण कोलेस्ट्रॉल भी कम पाया जाता है. साथ ही इसके मांस में विभिन्न प्रकार के अमीनो एसिड अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. विटामिन बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, सी व ई इत्यादि भी अन्य नस्लों की तुलना में अत्यधिक मात्रा में होते हैं.
इन रोगियों के लिए फायदेमंद
कड़कनाथ का काला मांस हार्ट अटैक रोगियों के लिए भी फायदेमंद है. इसकी वैज्ञानिक शोध में पुष्टि हुई है. क्योंकि इसमें इस रोग से बचाव हेतु औषधीय गुण होते हैं. हालांकि कड़कनाथ के मीट में तंत्रिका विकार से संबंधित औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. स्थानीय जनजातियों में इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियां दूर करने में भी किया जाता है.
इतनी है बाजार में कीमत
एक मुर्गी की कीमत इस वक्त बाज़ार में 3 से 4 हजार रुपये है. कड़कनाथ की डिमांड ज़्यादा और सप्लाई कम होने के चलते इसके अंडे और मीट की कोई तय कीमत नहीं है.
झाबुआ के आदिवासियों के लिए है पवित्र
गौरतलब है कि कुछ सालों पहले तक कड़कनाथ मुर्गे को मध्य प्रदेश के झाबुआ और छत्तीसगढ़ के बस्तर में रहने वाले आदिवासी ही पालते थे और इन्हें काफी पवित्र माना जाता था, आदिवासी समाज के लोग इस मुर्गे को दीपावली के बाद देवी के सामने बलि देते थे और फिर इसे खाने का रिवाज था.
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