LIC IPO पर क्यों मंडरा रहा हैं रूस-यूक्रेन के युद्ध का साया, केंद्र उठा सकता हैं बड़ा कदम ?
दुनिया की टॉप-10 बेहतर बीमा देने वाली कम्पनियों में शामिल एलआईसी आईपीओ पर अब यूक्रेन और रूस के युद्ध का साया मंडराने लगा है। भारत सरकार देश की सबसे बड़ी बीमा कम्पनी यानी को एलआईसी के IPO की टाइमिंग में बदलाव कर सकती हैं। केंद्रित वित्त मंत्री निर्मला सियाराम ने एक मीडिया चैनल को दिए अपने इंटर्व्यू में इस बात का संकेत दिया हैं ।
वित्त मंत्री ने यह साफ कहा कि वर्तमान में जारी यूक्रेन और रूस के युद्ध के बीच केंद्र सरकार एलआईसी आईपीओ पर एक बार फिर से पुनः विचार कर सकती हैं। Economics Times की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्री ने एक इंटर्व्यू के दौरान कहा की हमने इसे विशुद्ध रूप से भारतीय विचारों को ध्यान में रख कर यह योजना बनाई थी।
एलआईसी में कितने फीसदी तक FDI की मंजूरी ?
पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग के दौरान इस आईपीओ IPO में विदेशी निवेशकों यानि की Foreign Investment को शामिल करने के FDI Policy में बदलाव किया गया हैं। इस बदलाव के तहत एलआईसी के आईपीओ में 20 प्रतिशत तक ऑटोमैटिक रूट से विदेशी निवेश को मंजूरी दी गई हैं। वर्तमान में इंश्योरेंस सेक्टर में ऑटोमैटिक रूट से 74 प्रतिशत की FDI को मंजूरी मिली गई हैं।
चालू वित्त वर्ष में आईपीओ को टाल सकते हैं ?
अगर केंद्र सरकार IPO की टाइमिंग पर रिव्यू करती हैं, तो चालू वित्त में LIC आईपीओ के आने की संभावना बेहद कम हैं। केंद्र सरकार का यह उद्देश्य हैं की 31 मार्च, 2022 तक वर्ष के लिए बजट घाटे को कम करना हैं। LIC की तरफ से 13 फरवरी को SEBI के सामने DRHP यानी आईपीओ प्रस्ताव जमा किया गया था। केंद्र सरकार एलआईसी में अपनी 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचने जा रही थी।
अब माना यह जा रहा है कि इसके जरिए केंद्र सरकार 60-63 हजार करोड़ का फंड इकट्ठा कर सकती हैं। SEBI के सामने जमा दस्तावेज के अनुसार, एलआईसी की एम्बेडेड वैल्यु कुल 5.4 लाख करोड़ रुपए तक लगाई गई हैं। फिलहाल इसकी मार्केट वैल्यु की कोई जानकारी नहीं दी गई है। बाजार का मानना है कि LIC की मार्केट वैल्यु 16 लाख करोड़ रुपए हो सकती हैं।
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