काली मिर्च की खेती कर महीनों में ही कमा लेगें लाखों रूपये, बस करना होगा ये काम
काली मिर्च (Black Pepper) का सबसे ज्यादा उपयोग मसाले के रूप में होता है. काली मिर्च के पौधे की बात करें तो यह एक सदाबाहर पौधा है.
इसके पत्ते हमेशा हरे दिखाई देते हैं. वहीं किसान इसकी खेती करके अच्छी आमदनी पा सकते हैं. भारत में प्रतिवर्ष 20 करोड़ रुपए की कालीमिर्च का निर्यात विदेशों को किया जाता है.
इसे देखते हुए इसकी खेती करने में किसी भी प्रकार से घाटा नहीं है. तो आइये जानते कब और कैसे काली मिर्च की खेती कर पा सकते हैं लाखों का मुनाफा.
कैसा होता है काली मिर्च का पौधा
काली मिर्च के पौधे की पत्तियां आयताकार होती है. इसकी पत्तियों की लम्बाई 12 से 18 सेंटीमीटर की होती है और 5 से 10 सेंटीमीटर की चौड़ाई होती है. इसकी जड़ उथली हुई होती हैं. इसके पौधे की जड़ दो मीटर की गहराई में होती है. ये झाड़ के रूप में विकसीत होता है.
बुवाई के लिए भूमि व जलवायु व तापमान
काली मिर्च की खेती के लिए लाल लेटेराइट मिट्टी और लाल मिट्टी उत्तम मानी जाती है. जिस भूमि में काली मिर्च की खेती की जाती है उस खेत की मिट्टी में जल धारण करने की क्षमता होनी चाहिए. भूमि का पी. एच. मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए. इसके लिए हल्की ठंड वाली जलवायु उत्तम होती है. इसके लिए न्यूनतम तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस होना आवश्यक है.
काली मिर्च का रोपण कैसे करें
काली मिर्च के पौधे के विस्तार करने के लिए कलमों का उपयोग किया जाता है. इसकी एक या दो कलमों को काटकर रोपित किया जाता है. काली मिर्च के कलमों को एक कतार में लगाना चाहिए. कलमों को लगाते समय इनके बीच की दूरी का ध्यान रखना चाहिए ताकि इसे फैलने के लिए उचित स्थान मिल सके. काली मिर्च की बेल चढ़ाई जाती है. यह ऊंचे पर ये 30 से 45 मीटर तक की ऊंचाई पर चढ़ जाते है. काली मिर्च का एक पौधा कम से कम 25 से 30 साल तक फलता-फूलता है.
कब- कब करें सिंचाई
इसकी खेती वर्षा पर आधारित है. बारिश नहीं होने की अवस्था में इसकी हल्की सिंचाई करनी चाहिए व आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए. इसके रोपण के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए. उसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई की जा सकती है.
पकने का सही समय
काली मिर्च के गहरे रंग के घने पौधे पर जुलाई महीने के बीच सफेद और हल्के पीले फूल निकलते है. जनवरी से मार्च के बीच में फल पककर तैयार हो जाते है. सूखने पर हर एक पौधे में से 4 से 6 किलोग्राम गोल काली मिर्च प्राप्त हो जाती है. पकने के बाद इन गुच्छों को उतारकर भूमि में या चटाईयां बिछाकर रख दिया जाता है.
इसके बाद हथेलियों से दानों को रगडक़र साफ किया जाता है. इसके बाद दानों को अलग करने के बाद इन्हें 5 या 7 दिन तक धूप में सुखा दिया जाता है. जब काली मिर्च के दाने पूरी तरह से सूख जाते है तो इन पर सिकुड़ जाती है और इस पर झुरियां पड़ जाती है. इन दानों का रंग गहरा काला हो जाता है. इस अवस्था में यह काली मिर्च आपके इस्तेमाल के लिए तैयार है.
ये भी पढ़ें: इसलिए इतना महंगा है कड़कनाथ मुर्गा, जानें इसका खूबी